Hindi, asked by jangrakomal2003, 1 year ago

Mata pita ki aagya ka palan karne par bal dete hove chote bhai ko prarthna patr

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Answered by Anonymous
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“बच्चो, प्रभु में अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो, ... आज्ञा मानने से हमेशा के इनाम मिलते हैं. 3.
Answered by shubh1729
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अपने माता और पिता का आदर शब्दों और कार्यों और हृदय के भीतर के व्यवहार से करना एक सम्मानीय बात है। सम्मान या आदर के लिए यूनानी शब्द "आदर, पुरस्कार और मूल्य" से है। सम्मान किसी को उनके गुणों के कारण ही नहीं देना होता है, अपितु उनकी पदवी के कारण भी होता है। उदाहरण के लिए, हो सकता है, कि भारत के कुछ लोग राष्ट्रपति के निर्णय से सहमत न हों, परन्तु वे फिर भी उसकी पदवी के कारण उसका अपने देश का अगुवा होने के नाते उसका सम्मान करेंगे। ठीक वैसे ही, सभी उम्र के बच्चों को उनके अभिभावकों को सम्मान देना चाहिए, इस बात को एक किनारे करते हुए कि चाहे उनके अभिभावक इस सम्मान को प्राप्त करने के लिए "योग्य" हैं या नहीं।

परमेश्‍वर हमें हमारे माता और पिता का आदर करने के लिए उत्साहित करता है। वह हमारे अभिभावकों को इतना अधिक मूल्य देता है, कि उन्हें अपनी दस आज्ञाओं में सम्मिलित करता है (निर्गमन 20:12) और एक बार फिर से नए नियम में: "हे बालको, प्रभु में अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है। अपनी माता और पिता का आदर कर, यह पहली आज्ञा है जिसके साथ प्रतिज्ञा भी है, कि तेरा भला हो और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे" (इफिसियों 6:1-3)। अभिभावकों को आदर करना ही मात्र पवित्रशास्त्र की एक ऐसी आज्ञा है, जो लम्बे जीवन के प्रतिफल की प्रतिज्ञा करती है (यिर्मयाह 35:18-19)। इसके विपरीत, वे जो "निरंकुश मन" वाले हैं, और जो इन अन्तिम दिनों में अभक्ति का प्रदर्शन करते हैं, को अभिभावकों के प्रति अनाज्ञाकारी के रूप में चित्रित किया गया है (रोमियों 1:30; 2 तीमुथियुस 3:2)।
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