Mata Pita par 100 words ka nibandh.
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माता पिता की सेवा पर निबंध
क्या आप माता-पिता के प्रति हमारे महत्व को समझना चाहते हैं?
क्या आप माता पिता और बच्चे के सही रिश्ते को समझना चाहते हैं?
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माता पिता की सेवा पर निबंध
इस जीवन में हर किसी व्यक्ति को एक जीवन साथी या मित्र की आवश्यकता होती है जो उससे हमेशा प्यार करें और जीवन भर उसकी मदद करें। परंतु जीवन में एक बात तो सत्य है हर किसी प्रेम की तुलना में माता पिता का प्रेम सबसे ऊपर होता है। एक पिता के सहज और निर्मल प्रेम को किसी भी अन्य प्रेम से तुलना नहीं किया जा सकता है। माता-पिता वह होते हैं जो अपनी संतान की खुशी के लिए हर दुख हंसते-हंसते सह जाते हैं। मां वह होती है जो 9 से 10 महीने तक अपनी संतान को पेट में रखकर हर दुख कष्ट को सहते हुए जन्म देती है। चाहे बच्चे जितनी भी बुरी हरकते करें कभी भी माता-पिता के मन में उनके प्रति घृणा की भावना उत्पन्न नहीं होती है।
अगर बच्चों का तबीयत खराब हो जाए तो माता-पिता से ज्यादा चिंतित और दुनिया में कोई नहीं होता है। दूसरी ओर पिता और माता रात दिन परिश्रम करते हैं ताकि उनके बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो सके। वह अपने काम के साथ-साथ बच्चों के साथ खेलतेहैं उन्हें स्कूल छोड़ने जाते हैं और साथ ही उनका ख्याल भी रखते हैं। माता-पिता बिना किसी मोह माया के अपने बच्चो की परवरिश करते हैं ऐसे में हर एक संतान का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता पिता की जीवन भर सेवा करें। माता-पिता की सेवा और देखभाल करने वाला व्यक्ति हमेशा जीवन में सफल होता है।
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रामायण में भगवान् श्री राम के माता-पिता की सेवा को कोई भूल नहीं सकता है। परन्तु अगर इस आधुनिक युग में अगर कोई व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा ही करे तो बहुत है। अब एक ऐसा समय आ चूका है कि लोग पैसे और सफलता के पीछे ही भाग रहे हैं और माता-पिता को भूलते जा रहे हैं। कुछ ऐसे क्रूर संतान भी हैं जो माता-पिता को वृद्ध हो जाने पर वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं। लालत है ऐसे बच्चों को जो अपने माता-पिता के अंतिम समय में उन्हें छोड़ देते हैं। क्या इसी दिन के लिए वो माता-पिता अपनी जान न्योछावर करके उस संतान का लालन पालन करते हैं।
हमारे लिए जिन कष्टों का सामना हमारे माता पिता करते हैं उसका वर्णन करना नामुमकिन है। इसीलिए माता-पिता की सेवा से भागना पाप है। माता पिता की सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती है। जिस संतान को माता-पिता की सेवा का अवसर मिले, तो समझ लीजिये वह बहुत भाग्यशाली है। हर माता-पिता के मन में एक चाह होती है कि उनकी संतान वृद्धावस्था में उनका सहारा बने। जो लोग स्वयं के माता-पिता की सेवा नहीं करते हैं उनके बच्चे भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार दिखाते हैं।
हमें स्वयं अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए इससे हमारी आने वाली पीढ़ी के बच्चे भी वही सब सीखेंगे। कई बार देखने में आता है कुछ अशिक्षित माता-पिता कोउनके शिक्षित संतान संभालने और ख्याल रखने से कतराते हैं। भले ही माता-पिता जितने पुराने ढंग के रहने वाले हों वो हमारे माता पिता होते हैं और उन्हीं के कारण हम उस सफलता की जगह पर होते हैं। झूठे नकारात्मक लोगों की बातों को सुनने जो अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता है और उनका अपमान करता है उसे कभी भी जीवन में सुख-शांति प्राप्त नहीं होती है।
माता-पिता का प्यार हमेशा बिना शर्त है। वे बदले में कुछ भी उम्मीद नहीं करते हैं और हमें प्यार भर भर कर हैं। जब से हम पैदा होते हैं, हमारे माता-पिता की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। वे हमें खिलाते हैं, हमें सहारा देते हैं, हमें स्नान करते हैं, हमें साफ करते हैं, हमारे साथ खेलते हैं, हमें सिखाते हैं, हमें बचाते हैं, हमें शिक्षित करते हैं आदि।
एक मां दोनों के बीच अधिक भावनात्मक है। वह एक बच्चे के लिए एक दुनिया की तरह है। वह वह है जो 9 महीने तक अपने गर्भ के अंदर एक बच्चे को रख उसे एक नया जीवन देती है। लेकिन वह अपने बच्चे के लिए सबकुछ परवाह करती है। वह वह है जो एक बच्चे का पहला शिक्षक है। वह अपने बच्चे को खुद से ज्यादा जानता है। जब बच्चे को चोट पहुंचती है तो वह रोती है। जब वह अपने बच्चे को कुछ उत्कृष्ट करती है तो उसे गर्व महसूस होता है। जब वह बीमार है तो वह परवाह करती है। वह हमेशा जानता है कि उसके बच्चे को किस समय की जरूरत है।
दूसरी ओर, पिता बच्चे और पूरे परिवार के लिए एक सुरक्षात्मक ढाल की तरह है। वह जीवित कमाई करने के लिए चला जाता है। वह अधिक से अधिक कमाई करने के लिए कड़ी मेहनत करता है ताकि वह अपने बच्चे को एक अच्छा जीवन दे सके। वह बच्चे को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा देने की कोशिश करता है। वह अपनी सभी मांगों को पूरा करने की कोशिश करता है। वह नहीं दिखाता है, लेकिन उन्हें समान रूप से प्यार करता है।