मत्स्य पालन पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
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भारत में मत्स्य पालन, उसके तटीय राज्यों का एक प्रमुख उद्योग है, जो 14 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। 2016-17 में, देश ने $ 5.78 बिलियन (90 37,870.90 करोड़ रुपये) का 11,34,948 मीट्रिक टन समुद्री खाद्य निर्यात किया, जिसमें जमे हुए झींगा निर्यात में शीर्ष वस्तु है।संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, 1947 से मछली का उत्पादन दस गुना से अधिक हो गया है और 1990 और 2010 के बीच दोगुना हो गया है।
भारत में 8,129 किलोमीटर (5,051 मील) समुद्री तट रेखा, 3,827 मछली पकड़ने के गांव और 1,914 पारंपरिक मछली अवतरण केंद्र हैं। भारत के ताजे जल संसाधनों में नदियाँ और नहरें को मिलाकर, 195,210 किलोमीटर (121,300 मील) क्षेत्र हैं, 2.9 मिलियन हेक्टेयर छोटे और बड़े जलाशय, 2.4 मिलियन हेक्टेयर तालाब और झीलें, और लगभग 0.8 मिलियन हेक्टेयर बाढ़ के मैदान आर्द्रभूमि और जल निकाय हैं। 2010 तक, समुद्री और मीठे पानी के संसाधन मिलकर 4 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक मछली पकड़ने की संयुक्त धारणीय क्षमता रखते है। इसके अलावा, भारत के जल और प्राकृतिक संसाधन 2010 से 3.9 मिलियन मीट्रिक टन मछली के एक्वाकल्चर (कृषि मछली पकड़ने) में दस गुना वृद्धि की क्षमता प्रदान करते हैं, यदि भारत मछली पकड़ने के ज्ञान, नियामक सुधार और स्थिरता नीतियों को अपनाता है।
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Explanation:
शरीर के पोषण तथा निर्माण में संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। संतुलित आहार की पूर्ति विभिन्न खाद्य पदार्थों को उचित मात्रा में मिलाकर की जा सकती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज लवण आदि की आवश्यकता होती है जो विभिन्न भोज्य पदार्थों में भिन्न-भिन्न अनुपातों में पाये जाते हैं। स्वस्थ शरीर के निर्माण हेतु प्रोटीन की अधिक मात्रा होनी चाहिए क्योंकि यह मांसपेशियों, तंतुओं आदि की संरचना करती है। विटामिन, खनिज, लवण आदि शरीर की मुख्य क्रियाओं को संतुलित करते हैं। मछली, मांस, अण्डे, दूध, दालों आदि का उपयोग संतुलित आहार में प्रमुख रूप से किया जा सकता है। मछलियों में लगभग 70 से 80 प्रतिशत पानी, 13 से 22 प्रतिशत प्रोटीन, 1 से 3.5 प्रतिशत खनिज पदार्थ एवं 0.5 से 20 प्रतिशत चर्बी पायी जाती है। कैल्शियम, पोटैशियम, फास्फोरस, लोहा, सल्फर, मैग्नीशियम, तांबा, जस्ता, मैग्नीज, आयोडीन आदि खनिज पदार्थ मछलियों में उपलब्ध होते हैं जिनके फलस्वरूप मछली का आहार काफी पौष्टिक माना गया है। इनके अतिरिक्त राइबोफ्लोविन, नियासिन, पेन्टोथेनिक एसिड, बायोटीन, थाइमिन, [[विटामिन बी12]], बी 6 आदि भी पाये जाते हैं जोकि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होते हैं। विश्व के सभी देशों में मछली के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर उपयोग में लाये जाते हैं। मछली के मांस की उपयोगिता सर्वत्र देखी जा सकती है। [[मीठा पानी|मीठे पानी]] की मछली में [[वसा]] बहुत कम पायी जाती है व इसमें शीघ्र पचने वाला [[प्रोटीन]] होता है। सम्पूर्ण विश्व में लगभग 20,000 प्रजातियां व भारत वर्ष में 2200 प्रजातियां पाये जाने की जानकारी हैं। [[गंगा नदी]] प्रणाली जो कि भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है, में लगभग 375 मत्स्य प्रजातियां उपलब्ध हैं।{{fact}} वैज्ञानिकों द्वारा उत्तर प्रदेश व बिहार में 111 मत्स्य प्रजातियों की उपलब्धता बतायी गयी है।