matdan kyu jaruri hai do mitro ke beech samvad
Answers
दो मित्रो के बीच संवाद - मतदान क्यों जरूरी है
राजेश — सुनील परसों मतदान का दिन है, तुम वोट तो डालोगे न?
सुनील — यार, कुछ कह नही सकता। कल मैं किसी काम से शहर से बाहर जा रहा हूँ। क्या पता परसों तक वापस आ पाऊँ या नही।
राजेश — अरे ऐसा क्यों कह रहे हो। परसों चले जाना। मतदान का अवसर रोज-रोज नही आता। अब पाँच साल बाद ही मौका मिलेगा। मतदान करना जरूरी ही नही हम सभी का कर्तव्य है।
सुनील — सोचता हूँ इस बारे में।
राजेश — इसमें ज्यादा सोचना क्या? अपना जरूरी कार्य एक दिन के लिये रोक भी सकते हो। परसो सुबह ही मतदान करके निकल जाना।
सुनील — पर यार। मेरा नुकसान हो जायेगा। एक मेरे वोट से क्या फर्क पड़ेगा।
राजेश — तुम्हारे जैसा सब सोचने लगें कि एक मेरे वोट से क्या फर्क पड़ेगा तो कोई वोट ही न दे। फिर तो लोकतंत्र का भगवान ही मालिक है। याद रखो एक-एक वोट कीमती होता है। और तुम तो पहले बड़ी-बड़ी बातें करते थे। सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते थे। अब स्वयं सरकार चुनने की बारी आई तो अपने कर्तव्य से पीछे हट रहे हो।
सुनील — यार ऐसा न बोलो। मैं बस वो थोड़ा जरूरी काम था इसलिये जा रहा था।
राजेश — तुम्हे अपने निजी काम की पड़ी है। देश की सरकार चुनने में अपना योगदान देना ये भी तो जरूरी काम है।
सुनील — माफ करना यार। मैं थोड़ा स्वार्थी और लापरवाह हो गया था। अब मैं परसों वोट देकर ही जाऊंगा।
राजेश — ये हुई न एक जागरुक नागरिक वाली बात।
Answer:
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Explanation:
दो मित्रो के बीच संवाद - मतदान क्यों जरूरी है
राजेश — सुनील परसों मतदान का दिन है, तुम वोट तो डालोगे न?
सुनील — यार, कुछ कह नही सकता। कल मैं किसी काम से शहर से बाहर जा रहा हूँ। क्या पता परसों तक वापस आ पाऊँ या नही।
राजेश — अरे ऐसा क्यों कह रहे हो। परसों चले जाना। मतदान का अवसर रोज-रोज नही आता। अब पाँच साल बाद ही मौका मिलेगा। मतदान करना जरूरी ही नही हम सभी का कर्तव्य है।
सुनील — सोचता हूँ इस बारे में।
राजेश — इसमें ज्यादा सोचना क्या? अपना जरूरी कार्य एक दिन के लिये रोक भी सकते हो। परसो सुबह ही मतदान करके निकल जाना।
सुनील — पर यार। मेरा नुकसान हो जायेगा। एक मेरे वोट से क्या फर्क पड़ेगा।
राजेश — तुम्हारे जैसा सब सोचने लगें कि एक मेरे वोट से क्या फर्क पड़ेगा तो कोई वोट ही न दे। फिर तो लोकतंत्र का भगवान ही मालिक है। याद रखो एक-एक वोट कीमती होता है। और तुम तो पहले बड़ी-बड़ी बातें करते थे। सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते थे। अब स्वयं सरकार चुनने की बारी आई तो अपने कर्तव्य से पीछे हट रहे हो।
सुनील — यार ऐसा न बोलो। मैं बस वो थोड़ा जरूरी काम था इसलिये जा रहा था।
राजेश — तुम्हे अपने निजी काम की पड़ी है। देश की सरकार चुनने में अपना योगदान देना ये भी तो जरूरी काम है।
सुनील — माफ करना यार। मैं थोड़ा स्वार्थी और लापरवाह हो गया था। अब मैं परसों वोट देकर ही जाऊंगा।
राजेश — ये हुई न एक जागरुक नागरिक वाली बात।