मथुरा जाकर कृष्ण क्या करने लगे हैं
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कृष्ण बलराम का मथुरा आगमन
एक दिन सन्ध्या समय कृष्ण ने समाचार पाया कि अक्रूर उन्हें मथुरा ले जाने के लिए वृन्दावन आये है। कृष्ण ने निर्भीक होकर अक्रुर से भेंट की और उन्हें नंद के पास ले गये। यहाँ अक्रूर ने कंस का धनुर्याग-संदेश सुनाकर कहा- "राजा ने आपको गोपों और बच्चों सहित यह मेला देखने बुलाया है।" अक्रूर दूसरे दिन सवेरे बलराम और कृष्ण को लेकर मथुरा के लिए चले।[1] नंद संभवत: बच्चों को न भेजते, किन्तु अक्रूर ने नंद को समझाया कि कृष्ण का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी से मिले और उनका कष्ट दूर करें। नंद अब भला कैसे रोकते? मथुरा पहुँचने पर नीतिवान अक्रूर ने प्रथम ही माता-पिता से बच्चों को मिलाना उचित नहीं समझा। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे कंस भड़क जायगा और बना-बनाया काम बिगड़ जायगा। वे सन्ध्या समय मथुरा पहुँचे थे, अक्रूर दोनों भाइयों को पहले अपने घर ले गये।
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