Hindi, asked by nandhuodugu95, 9 months ago

मदर तेरेसा' की जीवनी अपने शब्दों में लिखिए।​

Answers

Answered by vikashkumar450913
1

Answer:

mother tresha is love the child . she was mother of world.

Answered by mishravipin21511
4

Answer:

about teresa

Explanation:

जन्म: 26 अगस्त, 1910, स्कॉप्जे, (अब मसेदोनिया में)

मृत्यु: 5 सितंबर, 1997, कलकत्ता, भारत

कार्य: मानवता की सेवा, ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना

ऐसा माना जाता है कि दुनिया में लगभग सारे लोग सिर्फ अपने लिए जीते हैं पर मानव इतिहास में ऐसे कई मनुष्यों के उदहारण हैं जिन्होंने अपना तमाम जीवन परोपकार और दूसरों की सेवा में अर्पित कर दिया। मदर टेरेसा भी ऐसे ही महान लोगों में एक हैं जो सिर्फ दूसरों के लिए जीते हैं। मदर टेरेसा ऐसा नाम है जिसका स्मरण होते ही हमारा ह्रदय श्रध्धा से भर उठता है और चेहरे पर एक ख़ास आभा उमड़ जाती है। मदर टेरेसा एक ऐसी महान आत्मा थीं जिनका ह्रदय संसार के तमाम दीन-दरिद्र, बीमार, असहाय और गरीबों के लिए धड़कता था और इसी कारण उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उनके सेवा और भलाई में लगा दिया। उनका असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ (Agnes Gonxha Bojaxhiu ) था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मदर टेरेसा एक ऐसी कली थीं जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही गरीबों, दरिद्रों और असहायों की जिन्दगी में प्यार की खुशबू भर दी थी।

प्रारंभिक जीवन

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब मसेदोनिया में) में हुआ। उनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। जब वह मात्र आठ साल की थीं तभी उनके पिता परलोक सिधार गए, जिसके बाद उनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी उनकी माता द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। उनके जन्म के समय उनकी बड़ी बहन की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी, बाकी दो बच्चे बचपन में ही गुजर गए थे। वह एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं। पढाई के साथ-साथ, गाना उन्हें बेहद पसंद था। वह और उनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिका थीं। ऐसा माना जाता है की जब वह मात्र बारह साल की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और 18 साल की उम्र में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात वह आयरलैंड गयीं जहाँ उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं।

भारत आगमन

सिस्टर टेरेसा आयरलैंड से 6 जनवरी, 1929 को कोलकाता में ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ पंहुचीं। वह एक अनुशासित शिक्षिका थीं और विद्यार्थी उनसे बहुत स्नेह करते थे। वर्ष 1944 में वह हेडमिस्ट्रेस बन गईं। उनका मन शिक्षण में पूरी तरह रम गया था पर उनके आस-पास फैली गरीबी, दरिद्रता और लाचारी उनके मन को बहुत अशांत करती थी। 1943 के अकाल में शहर में बड़ी संख्या में मौते हुईं और लोग गरीबी से बेहाल हो गए। 1946 के हिन्दू-मुस्लिम दंगों ने तो कोलकाता शहर की स्थिति और भयावह बना दी।

मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी

वर्ष 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की जीवनपर्यांत मदद करने का मन बना लिया। इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फॅमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तालतला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। उन्होंने मरीजों के घावों को धोया, उनकी मरहमपट्टी की और उनको दवाइयां दीं।

धीरे-धीरे उन्होंने अपने कार्य से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन लोगों में देश के उच्च अधिकारी और भारत के प्रधानमंत्री भी शामिल थे, जिन्होंने उनके कार्यों की सराहना की।

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