मधुमालती मे वर्णित प्रेम व्यंजना पर प्रकाश डालिए!
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जिसके हृदय में वह विरह होता है उसके लिए यह संसार स्वच्छ दर्पण हो जाता है और इसमें परमात्मा का आभास अनके रूपों में होता है। तब वह देखता है कि इस सृष्टि के सारे रूप, सारे व्यापार उसी का विरह प्रकट कर रहे हैं। इस प्रकार मंझन कृत 'मधुमालती' प्रेम की सर्वोच्च और आदर्श कथा बखान करती है।
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जिसके हृदय में वह विरह होता है उसके लिए यह संसार स्वच्छ दर्पण हो जाता है और इसमें परमात्मा का आभास अनके रूपों में होता है। तब वह देखता है कि इस सृष्टि के सारे रूप, सारे व्यापार उसी का विरह प्रकट कर रहे हैं। इस प्रकार मंझन कृत 'मधुमालती' प्रेम की सर्वोच्च और आदर्श कथा बखान करती है।
व्याख्या:जिसके हृदय में वह विरह होता है उसके लिए यह संसार स्वच्छ दर्पण हो जाता है और इसमें परमात्मा का आभास अनके रूपों में होता है। तब वह देखता है कि इस सृष्टि के सारे रूप, सारे व्यापार उसी का विरह प्रकट कर रहे हैं। इस प्रकार मंझन कृत 'मधुमालती' प्रेम की सर्वोच्च और आदर्श कथा बखान करती है।
जिसके हृदय में वह विरह होता है उसके लिए यह संसार स्वच्छ दर्पण हो जाता है और इसमें परमात्मा का आभास अनके रूपों में होता है। तब वह देखता है कि इस सृष्टि के सारे रूप, सारे व्यापार उसी का विरह प्रकट कर रहे हैं। इस प्रकार मंझन कृत 'मधुमालती' प्रेम की सर्वोच्च और आदर्श कथा बखान करती है।
व्याख्या:जिसके हृदय में वह विरह होता है उसके लिए यह संसार स्वच्छ दर्पण हो जाता है और इसमें परमात्मा का आभास अनके रूपों में होता है। तब वह देखता है कि इस सृष्टि के सारे रूप, सारे व्यापार उसी का विरह प्रकट कर रहे हैं। इस प्रकार मंझन कृत 'मधुमालती' प्रेम की सर्वोच्च और आदर्श कथा बखान करती है।
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