मधुरा शर्करा द्राक्षा मधुरा मधुरं मधु।
। मधुरं मातृतुल्यं तु त्रैलोक्येऽपि न किञ्चन।।
meaning in hindi
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Answer:
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मधुरा शर्करा द्राक्षा मधुरा मधुरं मधु।
। मधुरं मातृतुल्यं तु त्रैलोक्येऽपि न किञ्चन।।
इसका अर्थ है:
भावार्थ —
इस श्लोक का अर्थ है,
इस श्लोक में मीठे की बात की गई है, जिस प्रकार है शक्कर मीठी होती है, शहद भी मीठा होता है| अंगूर का रस मीठा होता है| शक्कर मीठी होती है, तथा अंगूर का रस भी मीठा होता है पर अपनी प्यारी मातृभूमि के बारे में दो अलग-अलग राय नहीं हो सकती इसलिए , इस के लिए हमारा मन एक जैसा रहता है|
इसलिए सही अर्थ है , जहाँ पर जिसका मन लगा गया हो , उसके लिए वही स्थान सब से मीठा होता है| जो व्यक्ति मातृ भूमि के प्रति अपने प्रेम प्रकट करता है, वह व्यक्ति के सुख की कल्पना नहीं की जा सकती। वह मनुष्य हमेशा खुश रहता है , उसे हर जगह सुख का अहसास होता है|
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निम्नलिखित संस्कृत-पद्यांश/श्लोक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए—
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत् ।।