Hindi, asked by Anonymous, 2 months ago

मध्यकाल में जो भक्ति आंदोलन चला ,उस पर संचेप प्रकाश डालिए​

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Answered by prakashakash802
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(1) भक्ति आन्दोलन का आरम्भ दक्षिण भारत में आलवारों एवं नायनारों से हुआ जो कालान्तर में उत्तर भारत सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में फैल गया. (2) इस हिन्‍दू क्रांतिकारी अभियान के नेता शंकराचार्य थे जो एक महान विचारक और जाने-माने दार्शनिक रहे.

भक्ति आन्दोलन का सर्वाधिक प्रभाव सामाजिक क्षेत्र में पड़ा, जिसने जातिगत भेदभाव को दूर करते हुए मानव मात्र की समानता पर बल दिया । हिन्दू-मुस्लिम एकता का सूत्रपात किया । निम्न वर्ग के प्रति सम्मान भाव बढ़ाया । सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का प्रयत्न किया ।

भारत में भक्ति आंदोलन के उदय के कारण-

भारत में भक्ति आंदोलन के उदय के कारण- सूफी संतों की उदार एवं सहिष्णुता की भावना तथा एकेश्वरवाद में उनकी प्रबल निष्ठा ने हिन्दुओं को प्रभावित किया; जिस कारण से हिन्दू, इस्लाम के सिद्धांतों के निकट सम्पर्क में आये। हिन्दुओं ने सूफियों की तरह एकेश्वरवाद में विश्वास करते हुए ऊँच-नीच एवं जात-पात का विरोध किया।

गुरुद्वारे में गुरबानी का गायन, ये सभी मध्‍यकालीन इतिहास में (800 - 1700) भारतीय भक्ति आंदोलन से उत्‍पन्‍न हुए हैं। भक्ति आन्दोलन का आरम्भ दक्षिण भारत में आलवारों एवं नायनारों से हुआ जो कालान्तर में (८०० ई से १७०० ई के बीच) उत्तर भारत सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में फैल गया।

मध्‍यकालीन भारत के सांस्‍कृतिक इतिहास में भक्ति आन्दोलन एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव था। इस काल में सामाजिक-धार्मिक सुधारकों द्वारा समाज में विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार-प्रसार किया गया। ... अनेक विद्वान अब मध्य युग के भक्ति आन्दोलन को वैदिक परम्परा की मूल बातों का नए रूप में उदय के रूप में देखने लगे हैं।

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