Political Science, asked by tuba8180, 1 year ago

मध्यकाल में किस राजनीतिक चिंतक ने ईश्वरीय राज्य में न्याय को एक अपरिहार्य तत्व माना?

Answers

Answered by Anonymous
1

Answer:

इस प्रकार समझा जाता है, एक्विनास (अरस्तू के बाद फिर से) इसे "सामान्य गुण" मानते हैं। इसके द्वारा उनका अर्थ है कि कानूनी न्याय पुण्य के किसी भी कार्य को गले लगाता है, इसलिए जब तक कि एजेंट कानूनी न्याय की उचित वस्तु के लिए अपनी कार्रवाई को संदर्भित करता है।

_________

Answered by itsmepapakigudiya
0

Answer:

पाश्चात्य एवं भारतीय दोनों विचारधाराओं में न्याय के सार्वलौकिक एवं स्थिर तत्त्व के रूप में सद्चरित्रता को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह ऐसा तत्त्व है जो सार्वलौकिक एवं स्थिर है। सद्चरित्र व्यक्ति के आचरण, उसकी दैनिक क्रिया, उसका आदर्श सदैव समाज के लिए अनुकरणीय रहा है और रहेगा। भारतीय परम्परा में धर्म को आदर्श माना गया है। धर्म का अभिप्राय कर्त्तव्य से है जो व्यक्ति अपना निर्दिष्ट कार्य करता है, दूसरों के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करता है, वह न्याय का कार्य कर रहा है-ऐसा माना जाता है।..

hope it helps you

Similar questions