Hindi, asked by Anonymous, 5 months ago

मध्यम की विभक्ति वचन के साथ लिखि

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Answered by pgaidhane821
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संस्कृत में व्याकरण की परम्परा बहुत प्राचीन है। संस्कृत भाषा को शुद्ध रूप में जानने के लिए व्याकरण शास्त्र का अध्ययन किया जाता है। अपनी इस विशेषता के कारण ही यह वेद का सर्वप्रमुख अंग माना जाता है ('वेदांग'

यस्य षष्ठी चतुर्थी च विहस्य च विहाय च।

यस्याहं च द्वितीया स्याद् द्वितीया स्यामहं कथम् ॥

- जिसके लिए "विहस्य" छठी विभक्ति का है और "विहाय" चौथी विभक्ति का है ; "अहम् और कथम्"(शब्द) द्वितीया विभक्ति हो सकता है। मैं ऐसे व्यक्ति की पत्नी (द्वितीया) कैसे हो सकती हूँ?

(ध्यान दें कि किसी पद के अन्त में 'स्य' लगने मात्र से वह षष्टी विभक्ति का नहीं हो जाता, और न ही 'आय' लगने से चतुर्थी विभक्ति का । विहस्य और विहाय ये दोनों अव्यय हैं, इनके रूप नहीं चलते। इसी तरह 'अहम्' और 'कथम्' में अन्त में 'म्' होने से वे द्वितीया विभक्ति के नहीं हो गये। अहम् यद्यपि म्-में अन्त होता है फिर भी वह प्रथमपुरुष-एकवचन का रूप है। इस सामान्य बात को भी जो नहीं समझता है, उसकी पत्नी कैसे बन सकती हूँ? अल्प ज्ञानी लोग ऐसी गलती प्रायः कर देते हैं। यह भी ध्यान दें कि उन दिनों में लडकियां इतनी पढी-लिखी थीं वे मूर्ख से विवाह करना नहीं चाहती थीं और वे अपने विचार रखने के लिए स्वतन्त्र थीं।)

Answered by Anonymous
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Answer:

Explanation:

युष्मद् = तुम । त्वम् = तुम , युवाम् = तुम दोनों, युयम् = तुम सब ।

जिससे बात की जाती है, उसे मध्यम पुरुष कहते है ।

नामपद (संज्ञा) के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते है ।

मध्यम पुरुष एकवचन का सर्वनाम त्वम् = तु है ।मध्यम पुरुष एकवचन की क्रिया के अन्त में – सि चिन्ह लगता है । गच्छसि

मध्यम पुरुष के द्विवचन का सर्वनाम युवाम् = तुम दोनों है ।

मध्यम पुरुष के द्विवचन की क्रिया के अन्त में – थः चिन्ह लगता है । जैसे- पठथः, गच्छथः।

मध्यम पुरुष के बहुवचन का सर्वनाम युयम् = तु सब है।

मध्यम पुरुष की क्रिया के अन्त में – थ चिन्ह लगता है । जैसे- गच्छथ, पठथ।

एकवचन द्विवचन बहुवचन

त्वम् लिखसि युवाम् लिखथः युयम् लिखथ

त्वम् पठसि युवाम् पठथः युयम् पठथ

त्वम् गच्छसि युवाम् गच्छथः युयम् गच्छथ

त्वम् पश्यसि युवाम् पश्यथः युयम् पश्यथ

त्वम् वदसि युवाम् वदथः युयम् वदथ

त्वम् नमसि युवाम् नमथः युयम् नमथ

इस प्रकार कर्ता यदि मध्यम पुरुष एकवचन का है तो क्रिया में भी मध्यम पुरुष एकवचन ही होगा। और यदि कर्ता द्विवचन है तो क्रिया में भी द्विवचन का प्रयोग ही होगा, कर्ता यदि बहुवचन है तो क्रिया में भी बहुवचन ही होगा। इस बात को बहुत अच्छी तरह समझ ले, कभी भी गलती नही होगी ।

उत्तम पुरुष का प्रयोग

अस्मद् = हम । अहम् = मैं, आवाम् = हम दोनों, वयम् = हम सब ।

बात करने वाला स्वयं उत्तम पुरुष होता है ।

उत्तम पुरुष में एकवचन का सर्वनाम है - अहम् = मैं।

उत्तम पुरुष में एकवचन की क्रिया में लगने वाला चिन्ह होता है – मि ।

जैसे वदामि, गच्छामि, लिखामि, पश्यामि

उत्तम पुरुष के द्विवचन का सर्वनाम है – आवाम् = हम दोनों।

उत्तम पुरुष में द्विवचन की क्रिया में लगने वाला चिन्ह होता है – वः

जैसे - गच्छावः, लिखावः वदावः पश्यावः

उत्तम पुरुष के बहुवचन का सर्वनाम है – वयम् = हम सब।

उत्तम पुरुष के बहुवचन की क्रिया मे लगने वाला चिन्ह है – मः।

जैसे - गच्छामः, लिखामः, पश्यामः, वदामः।

एकवचन द्विवचन बहुवचन

अहम् लिखामि आवाम् लिखावः वयम् लिखामः

अहम् पश्यामि आवाम् पश्यावः वयम् पश्यामः

अहम् गच्छामि आवाम् गच्छावः वयम् गच्छामः

अहम् क्रिड़ामि आवाम् क्रिड़ावः वयम् क्रिड़ावः

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