मध्यप्रदेश के दार्शनिक स्थलों के लिए विज्ञापन
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मध्य प्रदेश भारत के ठीक मध्य में स्थित है। अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुड़ा की पर्वत श्रृखंलाएं इस प्रदेश को रमणीय बनाती हैं। ये पर्वत श्रृखंलाएं हैं कई नदियों के उद्गम स्थलों को जन्म देती हैं, ताप्ती, नर्मदा, चम्बल, सोन, बेतवा, महानदी जो यहां से निकल भारत के कई प्रदेशों में बहती हैं। इस वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक देन की वजह से मध्य प्रदेश एक बेहद खूबसूरत हर्राभरा हिस्सा बन कर उभरता है। जैसे एक हरे पत्ते पर ओस की बूंदों सी झीलें, एक दूसरे को काटकर गुजरती पत्ती की शिराओं सी नदियां। इतना ही विहंगम है मध्य प्रदेश जहाँ, पर्यटन की अपार संभावनायें हैं। हालांकि 1956 में मध्यप्रदेश भारत के मानचित्र पर एक राज्य बनकर उभरा था, किन्तु यहांँ की संस्कृति प्राचीन और ऐतिहासिक है। असंख्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरें विशेषत: उत्कृष्ट शिल्प और मूर्तिकला से सजे मंदिर, स्तूप और स्थापत्य के अनूठे उदाहरण यहाँ के महल और किले हमें यहाँ उत्पन्न हुए महान राजाओं और उनके वैभवशाली काल तथा महान योद्धाओं, शिल्पकारों, कवियों, संगीतज्ञों के साथ-साथ हिन्दू धर्म, इस्लाम धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म के साधकों की याद दिलाते हैं। भारत के अमर कवि, नाटककार कालिदास और प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन ने इस उर्वर धरा पर जन्म ले इसका गौरव बढाया है।
मध्यप्रदेश का एक तिहाई हिस्सा वन संपदा के रूप में संरक्षित है। जहां पर्यटक वन्यजीवन को पास से जानने का अदभुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। कान्हा नेशनल पार्क,बांधवगढ़, शिवपुरी आदि ऐसे स्थान हैं जहां आप बाघ, जंगली भैंसे, हिरणों, बारहसिंघों को स्वछंद विचरते देख पाने का दुर्लभ अवसर प्राप्त कर सकते हैं
Answer:
मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों का विकास करने की दृष्टि से वर्ष 1978 में म. प्र. राज्य पर्यटन विकास निगम का गठन किया गया। निगम कार्य पर्यटन स्थलों पर आवासीय, गैर आवासीय इकाइयों का संचालन, पर्यटकों को पर्यटन स्थलों की जानकारी सुलभ कराना, पर्यटन स्थलों पर साहित्य का प्रकाशन तथा पर्यटकों को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना है।
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