Hindi, asked by Parthvk0007, 6 months ago

मध्यरात्रि का समय। कड़कती बिजली और गरजती घटाएँ। गहरे अंधकार में डूबे, अनगिनत बेडियों से बँधे, कड़े पहरे में बैठे दो थके-हारे व्यक्ति। अचानक किसी के आगमन से बंधन खुल गए। पहरे टूट गए, मन में आशा और समाधान-चेतना का संचार हुआ. संघर्ष की राह प्रदीप्त हुई। श्रीकृष्ण को शायद इसीलिए जगद्गुरु कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने इस जग को संघर्षों में जी कर दिखलाया और जीना सिखलाया। उनके जन्म ने सिखाया कि जिस दिन मानव अपने भीतर स्थित ब्रह्म को पहचानने में सफल हो जाता है. मानव निर्मित सभी बेटियों और पहरे उसके लिए मूल्यहीन हो जाते हैं। उनकी बचपन की चोरियों और अठखेलियों ने सिखाया कि घी, दूध, मक्खन पर किसी अत्याचारी राजा का नहीं उसके उत्पादक ग्रामीणों का अधिकार है। और अधिकार कभी संघर्ष के बिना नहीं मिलते। कैशोर की बंसी और विवशताओं के मध्य जीवन के माधुर्य को भी जीना चाहिए। तनाव-रहित और प्रेममय जीवन ही समाधान ढूँढ पाता है। युवावस्था की जरासंध और काल-यवन की मुक्तिपूर्ण हत्या ने सिखाया कि राजनीति का मतलब है स्वयं पर लांछन लगने की परवाह न करते हुए प्रजा की समृद्धि और सुरक्षा के मुक्तिपूर्ण उपाय ढूँढना। प्रौढ़ावस्था ने कर्म और पौरुष का वह सिद्धांत दिया जो आज विश्व में गीता के रूप में प्रसिद्ध है उनका जन्म प्रतीकात्मक रूप से बताता है कि मानव तभी निर्भय और निर्वद्व हो सकता है जब अपने भीतर स्थित ब्रह्म को पहचाने । तभी उसकी आत्मशक्ति का पूर्ण विकास होता है। उस दिन के बाद से मोह या भय के बंधन मिथ्या लगने लगते हैं जब मानस में ज्ञान का आगमन होता है तो पूर्वाग्रहों की बेड़ियाँ खुद ही टूट जाती हैं। विवेक के प्रस्फुटन से निराशा के पहरे हट जाते हैं। चेतना का संचार मानवता के मन में सुंदर भविष्य के रक्षण का उत्साह जगाता है। मानव उसके लिए कोई भी उत्सर्ग करने को तत्पर हो जाता है। इस प्रकार जन्में सत् संकल्प की पूर्ति और रक्षण के लिए संपूर्ण प्रकृति और मानवता उसे स्वयं मार्ग देने लगती है। प्रश्न 1. श्रीकृष्ण को जगद्गुरु क्यों कहा जाता है?
2 श्रीकृष्ण के बचपन की चोरियों और अठखेलियों ने क्या सिखाया?
3. कैशोर की बंसी और रासलीला ने क्या सिखाया?
4. मानस में ज्ञान का आगमन होने पर क्या होता है?
5. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।​

Answers

Answered by Bushra78612
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Explanation:

1) श्री कृष्ण को जगद्गुरु इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने संघर्षों में जी कर दिखाया और जीना सिखाया ।

2) श्री कृष्ण के बचपन की चोरियों और अठखेलियों ने हमें यह सिखाया कि घी ,दूध ,मक्खन पर किसी अत्याचारी राजा का नहीं बल्कि उसके उत्पादक ग्रामीणों का अधिकार है ।

3) कैशोर की बंसी ने यह सिखाया कि विवशताओं के बीच भी जीवन के माधुर्य को जीना चाहिए ।

रासलीला में यह सिखाया कि तनाव रहित और प्रेममय जीवन ही समाधान ढूंढ पाता है ।

4) मानस में ज्ञान का आगमन होने पर पूर्वाग्रहों की बेड़ियां खुद ही टूट जाती है और मोह और भय के बंधन झूठ लगने लगते हैं ।

5) इस गद्यांश का उचित शीर्षक सच्चा संकल्प है ।

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