५. मध्ययुगीन काव्य
(अ) भक्ति महिमा
रसास्वादन
4. Ishwar Bhakti tatha Prem Ke Aadhar per Sakhi ke Pratham 6 padon ka ras Vada kijiye
is Sawal Ka Jawab chahie।
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Nahi mallom
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Padhe hi nahi
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ईश्वर भक्ति तथा प्रेम के आधार सखी
ईश्वर भक्ति तथा प्रेम में ईश्वर से कोई मांग नहीं होती है| जिस प्रकार ईश्वर हमें देता है हमें चुप-चाप वही ग्रहण कर लेना चाहिए| ईश्वर से कोई शिकायत नहीं करनी चाहिए| भक्ति ईश्वर के प्रति तीव्र प्रेम है | ईश्वर प्रेम है और ईश्वर से प्रेम करना उसके लिए जो वह है - भक्ति होती है |
भक्ति एक पवित्र भावना होती है | यह विशिष्ट होती है | ईश्वर प्रेम के लिए अहम को त्यागना ही पड़ता है| भक्ति ओए प्रेम एक ईश्वर के प्रति पवित्र भावना होती है |
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