'MATHRUBHOOMI' kis yug ki kavitha he
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द्विवेदी युग के लोकप्रिय कवि है मैथिलीशरण गुप्त। 'मातृभूमि' गुप्तजी की देशप्रेम संबंधी कविता है।
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मातृभाषा यह कविता द्विवेदी युग में रची गई है.
- इस कविता के कवि है. श्री मैथिलीशरण गुप्त उनको राष्ट्रकवि माना जाता है मातृभूमि कवि गुप्त की एक प्रसिद्ध कविता है.
- जिसमें अपने जन्म भूमि का गुणगान करके उसके लिए अपनी जान भी दे देने का आह्वान किया है.
- कवि गुप्त ने मातृभूमि की प्रशंसा करते कहा है कि, मातृभूमि के हरियाली के लिए नीलाकाश एक सुंदर वस्त्र की तरह शोभित है. सूरज और चांद इसके मुकुट है.
- सागर इसकी करधनी है. यह बहने वाली नदियां प्रेम का प्रवाह बहती है. तारे और फुल मातृभूमिके आभूषण है. पक्षी स्तूतीपाठक है. अधिशेष का सहस्त्र फनी सिंहासन है.
- बादलों का पानी बरस कर इसका अभिषेक करता है.
- कवि अपनी मातृभूमि के इस सुंदर रूप पर आत्मसमर्पण करते हैं. वह कहते हैं, वास्तव में मातृभूमि सगुण साकार मूर्ति है.
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