Mathrubhumi Ki Seva Mein Jeevan Arpan karna pratyek manushya ka Kartavya Hai kathan par Apne vichar likhiye
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Answer: " जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी "अर्थात जन्म देने वाली माता तथा जिस भूमि पर हमने जन्म लिया उनका स्थान व महत्व स्वर्ग से भी कहीं अधिक है । वस्तुतः मातृभूमि वह स्थल है जिसकी मिट्टी में हम खेलकूदकर बड़े हुए, जिसकी हवाओं में हमने सांस ली है | जिसके अन्न जल से हमारा पोषण हुआ तथा जिस भूमि पर हमने अपना जीवन व्यतीत किया ,वह वंदनीय है । उसकी सेवा करना और आवश्यकता पड़ने पर उसके लिए प्राण उत्सर्ग करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है । जिसकी गोद में हमारा शैशव बीता है वह मातृभूमि सदा पूजनीय है क्योंकि उसने माता की ही भांति हमारा ध्यान रखा , पालन किया तथा हमें आश्रय दिया है । जिसके सहारे हम निर्भीक रहकर सोते हैं । जिसके संसाधनों से हमारी जीवन की समस्याओं का निराकरण होता है। जिसकी नदियां ,जल, सरोवर, झरने, पेड़ - पौधे हमारे सहयोगी है। जिसकी छत्रछाया में हमारा निर्भीक जीवन पल - पल बढता हैं । ऐसी मातृभूमि की सेवा में जरूरत पड़ने पर अपने जीवन की भेंट चढ़ाना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है ।