Mati wali ka pura jovan parichay hindi m likha hua
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माटी वाली :- माटी वाली एक टिहरी शहर में रहने वाली एक बूढ़ी महिला है । माटी वाली रोज सुबह उठकर माटी काटने जाती है । माटी काटने के बाद अपने कंट्रो में माटी भरकर लोगों के घर-घर पहुंचाती है । उस शहर में माटी वाली के मुकाबले कोई नहीं । यहां पर और कोई भी माटी बेचने का काम नहीं करता । इसलिए माटी वाली का कोई प्रतिद्वंदी नहीं है । माटी वाली का पति जोकि दिन भर अपने घर में खाट पर सोया रहता है । माटी वाली रोज उसके लिए कुछ खाना लेकर जाती है । जिस जिस घर में वह सुबह माटी पहुंचाने जाती है उस घर से एक दो रोटी और साग मिल जाता था । जिसे वह अपने पल्लू में छिपाकर अपने पति के लिए बचा कर रख दी थी । इस तरह वह इतनी गरीबी में भी अपना और अपने पति का गुजारा कर रही थी । माटी वाली कभी हार नहीं मानती । उसका कंटेनर पूरे शहर वाले लोग पहचानते हैं । और माटी वाली को भी पूरा शहर जानता है ।
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माटी वाली' कहानी टिहरी शहर की कहानी है। पुराने टिहरी शहर को बाँध के रास्ते में आने के कारण डूबो दिया गया था। यह उन लोगों की कहानी है, जिन्हें अपने पुरखों की धरोहर को त्यागना पड़ा। यह विस्थापन का वह दर्द है, जिसे हर टिहरीवासियों ने सहा था। लेखक ने इस दर्द को माटी वाली के द्वारा दर्शाया है। पूरे टिहरी में वह एकमात्र ऐसी स्त्री थी, जो घर-घर में माटी पहुँचाती थी। उसकी जीविका का साधन ही माटी खाना था। उससे भी उसका जीवन बड़ी मुश्किल से चलता था। परन्तु वह इसमें भी खुश थी। माटी वाली के पास कहने को कुछ नहीं था। उसका वृद्ध बीमार पति, उसकी टूटी हुई झोपड़ी और वह स्थान जहाँ से वह माटी लाती थी। ये सब उसके जीवन की अमुल्य धरोहरें थीं। पति की बीमारी और बुढ़ापे के कारण साथ छूट गया, उसका घर और माटीखाना टिहरी बाँध के कारण उससे छूट गया। पति के बाद वे ही उसके जीवन का आधार थे। उसके पास रोने के सिवाए अब कुछ नहीं बचा था। उसके दर्द को बाटने और समझने वाला भी कोई नहीं था। सिर्फ वह दर्द था, जो कभी न खत्म होने वाला था।