MATRI BHASA KE ADHYAN SE KYA LAAB HOTA HE
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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देश में भाषा’ यह एक व्यापक चर्चा का विषय बना है- एक तरफ देश में मातृभाषा का महत्व कम होता दिखाई दे रहा है। विश्व में विगत 40 वर्षों में लगभग 150 अध्ययनों के निष्कर्ष हैं कि मातृभाषा में ही शिक्षा होनी चाहिए, क्योंकि बालक को माता के गर्भ से ही मातृभाषा के संस्कार प्राप्त होते हैं। भारतीय वैज्ञानिक सी.वी.श्रीनाथ शास्त्री के अनुभव के अनुसार अंग्रेजी माध्यम से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने वाले की तुलना में भारतीय भाषाओं के माध्यम से पढ़े छात्र, अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान करते हैं।राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केन्द्र की डॉ नन्दिनी सिंह के अध्ययन (अनुसंधान) के अनुसार, अंग्रेजी की पढ़ाई से मस्तिष्क का एक ही हिस्सा सक्रिय होता है, जबकि हिन्दी की पढ़ाई से मस्तिष्क के दोनों भाग सक्रिय होते हैं। सर आइजेक पिटमैन ने कहा है कि संसार में यदि कोई सर्वांग पूर्ण लिपि है तो वह देवनागरी है। विदेशी भाषा के माध्यम से पढ़ाई, अनुसंधान, पुस्तकें आदि आधुनिकता के भी विरूद्ध है, क्योंकि आधुनिक-ज्ञान, समाज के सभी वर्गो तक अपनी भाषा में ही पहुंचाया जा सकता है।