matrubhasha ka mahatva essay in Hindi
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यानी हमे दुसरो की भाषा सीखने का मौका मिले तो यह अच्छी बात है लेकिन दुसरो की भाषा के चलते अपनी मातृभाषा को छोड़ना पड़े तो कही न कही दिक्कत का सामना जरुर करना पड़ता है तो ऐसे में आज हम बात करते है अपने देश भारत के राजभाषा हिंदी के बारे में जो हमारी मातृभाषा भी है और हमे इसे बोलने में फक्र महसूस करना चाहिए
हमारे देश की मूल भाषा हिंदी है लेकिन भारत में अंग्रेजो की गुलामी के बाद हमारे देश के भाषा पर भी अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य हुआ भारत देश तो आजाद हो गया लेकिन हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा का आज भी आधिपत्य आज तक कायम है अक्सर अपने देश के लोग के मुह से यह कहते हुए सुना जाता है की हमारी हिंदी थोड़ी कमजोर है ऐसा कहने का तात्पर्य यही होता है की उनकी अंगेजी भाषा हिंदी के मुकाबले काफी अच्छी है और यदि भूल से यह कह दे की हमारी अंग्रेजी कमजोर है तो उसे लोग कम पढ़ा लिखा मान लेते है क्या यह सही है किसी भाषा पर अगर हमारी अच्छी पकड न हो तो क्या इसे अनपढ़ मान लिया जाय शायद ऐसा होना हमारे देश की विडम्बना है
लेकिन आईये आज आप सभी को हिंदी भाषा के बारे में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य बतलाते है जिसे आप सभी जानकर जरुर गर्व महसूस करेगे
Answer:
Hey mate!!
here is Ur answer
मातृभाषा क्या है
मातृभाषा क्या हैजन्म से हम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। सभी संस्कार एवं व्यवहार इसी के द्वारा हम पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है।
मातृभाषा क्या हैजन्म से हम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। सभी संस्कार एवं व्यवहार इसी के द्वारा हम पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है। सभी राज्यों के लोगों का मातृभाषा दिवस पर अभिनन्दन - हर वो कोई जो उत्सव मना रहा है। उत्सव के लिए कोई भी कारण उत्तम है। भारत वर्ष में हर प्रांत की अलग संस्कृति है, एक अलग पहचान है। उनका अपना एक विशिष्ट भोजन, संगीत और लोकगीत हैं। इस विशिष्टता को बनाये रखना, इसे प्रोत्साहित करना अति आवश्यक है।
मातृभाषा क्या हैजन्म से हम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। सभी संस्कार एवं व्यवहार इसी के द्वारा हम पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है। सभी राज्यों के लोगों का मातृभाषा दिवस पर अभिनन्दन - हर वो कोई जो उत्सव मना रहा है। उत्सव के लिए कोई भी कारण उत्तम है। भारत वर्ष में हर प्रांत की अलग संस्कृति है, एक अलग पहचान है। उनका अपना एक विशिष्ट भोजन, संगीत और लोकगीत हैं। इस विशिष्टता को बनाये रखना, इसे प्रोत्साहित करना अति आवश्यक है।मातृभाषिक शिक्षण का महत्त्व
मातृभाषा क्या हैजन्म से हम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। सभी संस्कार एवं व्यवहार इसी के द्वारा हम पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है। सभी राज्यों के लोगों का मातृभाषा दिवस पर अभिनन्दन - हर वो कोई जो उत्सव मना रहा है। उत्सव के लिए कोई भी कारण उत्तम है। भारत वर्ष में हर प्रांत की अलग संस्कृति है, एक अलग पहचान है। उनका अपना एक विशिष्ट भोजन, संगीत और लोकगीत हैं। इस विशिष्टता को बनाये रखना, इसे प्रोत्साहित करना अति आवश्यक है।मातृभाषिक शिक्षण का महत्त्वकिन्तु भारतीय बच्चे अपनी लोकभाषा जिसमें हमें कम से कम गिनती तो आनी चाहिए उसे भूलते जा रहे हैं। इससे हमारे मस्तिष्क पर भी गलत असर पड़ता है और हमारी लोकभाषा में गणित करने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है।
मातृभाषा क्या हैजन्म से हम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। सभी संस्कार एवं व्यवहार इसी के द्वारा हम पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है। सभी राज्यों के लोगों का मातृभाषा दिवस पर अभिनन्दन - हर वो कोई जो उत्सव मना रहा है। उत्सव के लिए कोई भी कारण उत्तम है। भारत वर्ष में हर प्रांत की अलग संस्कृति है, एक अलग पहचान है। उनका अपना एक विशिष्ट भोजन, संगीत और लोकगीत हैं। इस विशिष्टता को बनाये रखना, इसे प्रोत्साहित करना अति आवश्यक है।मातृभाषिक शिक्षण का महत्त्वकिन्तु भारतीय बच्चे अपनी लोकभाषा जिसमें हमें कम से कम गिनती तो आनी चाहिए उसे भूलते जा रहे हैं। इससे हमारे मस्तिष्क पर भी गलत असर पड़ता है और हमारी लोकभाषा में गणित करने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है।जब हम छोटे बच्चे थे तब पहली से चौथी कक्षा का गणित लोकभाषा में पढ़ाया जाता था। अब धीरे धीरे यह प्रथा लुप्त होती जा रही है। लोकभाषा, मातृभाषा में बच्चों का बात ना करना अब एक फैशन हो गया है। इससे गाँव और शहर के बच्चों में दूरियाँ बढ़ती हैं। गाँव, देहात के बच्चे जो सबकुछ अपनी लोकभाषा में सीखते हैं अपने को हीन और शहर के बच्चे जो सबकुछ अंग्रेजी में सीखते हैं स्वयं को श्रेष्ठ, बेहतर समझने लगते हैं। इस दृष्टिकोण में बदलाव आना चाहिए। हमारे बच्चों को अपनी मातृभाषा और उसी में ही दार्शनिक भावों से ओतप्रोत लोकगीत का आदर करते हुए सीखने चाहिए। नहीं तो हम अवश्य ही कुछ महत्वपूर्ण खो देंगे।
hope it will help you..
#shruti