May I get examples of vibhats ras
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ser pr baithyo kag ankh dao khat nikarat,
khinchat jibhah syar annad ur dharat
geedh jangh ko khodh khodh k maas uparat
swan angurin kate kate k khat vidarat.....
i hope it help u.....:)
khinchat jibhah syar annad ur dharat
geedh jangh ko khodh khodh k maas uparat
swan angurin kate kate k khat vidarat.....
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वीभत्स रस की परिभाषा :- वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है। इसमें घृणित वस्तुओं, घृणित चीजो या घृणित व्यक्ति को देखकर अथवा उनके संबंध में विचार करके अथवा उनके सम्बन्ध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कि पुष्टि करती है अर्थात वीभत्स रस के लिए घृणा और जुगुप्सा का होना आवश्यक होता है।
विभत्स रस के उदहारण
( 1 )सिर पर बैठो काग आँखि दोउ-खात निकारत।
खींचत जीभहिं स्यार अतिहि आनन्द उर धारत। ।
( 2 )आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते
भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटे।
( 3 )बहु चील्ह नोंचि ले जात तुच, मोद मठ्यो सबको हियो
जनु ब्रह्म भोज जिजमान कोउ, आज भिखारिन कहुँ दियो।
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