मयनुस हों तो वही रसखयनन बसों ब्रज गोकुि गयाँव के ग्वयिन |
जो पसुहों तो कहय बस मेरो चरों ननत नंि की धेनुमंझयरन |
पयहन हों तो वही गगरी को जो कक्ो हररछत्र पुरंिर धयरण |
जो खग हों तो बसेरो करों लमिी कयलििं ी कूि कंिम्ब की डयरन ||
(क) कवव और कववतय कय नयम क््य है ?
(ख)कवव ककस पववत कय पत्थर बननय चयहतय है और क््ों ?
(ग) कवव ने ‘कहय बस मेरो’ क््ों कहय है ?
(घ) कवव पक्षी के रूप में कहय रहनय चयहतय है?
(ङ) पुरंिर कय क््य अथव है?
please answer fast it's urgent.
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