Hindi, asked by shrutiravichandran02, 1 year ago

Mayaram aur dayaram ka charitr chitran naya rasta

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Answered by amritanshu6
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-मायाराम सुरजन स्मृति भवन सभागार में कला कुंभ कार्यक्रम

भोपाल। नवदुनिया रिपोर्टर

लोक कला का जीवन में बड़ा महत्व है। संस्कृति और परंपरा के मिश्रण के साथ ही कला प्रभावी बनती है। लोक संस्कृति कला पूर्ण होते ही कला कुंभ में बदलती है। लोक कला का निर्माण समाज की अभिव्यक्ति के लिए होता है और इसी से लोक संस्कृति का जन्म होता है। लोक संस्कृति की कला अपने आप में पूर्ण है। यह कहना था हिंदी ग्रंथ अकादमी संचालक प्रो. सुरेंद्र गोस्वामी का। वे रविवार को मायाराम सुरजन स्मृति भवन सभागार में पंचायत विकास परिषद् की ओर से आयोजित कला कुंभ कार्यक्रम में मौजूद थे। इस मौके अलग-अलग क्षेत्र सक्रिय और समाज के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सहयोग दे रहे नागरिकों को सम्मानित किया गया।

लोक शैली में रमे गीतों में प्रकृति का बखानः

कार्यक्रम में गीतकार अशोक सिंह, गरीबदास, राजाराम पाल, दयाराम, पन्नालाल अहिरवार और सुरेश राठौर ने लोक शैली में गीतों की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां देकर लोक गीतों का समां बांध दिया। लोक शैली में रमे गीतों में प्रकृति, समुदाय बखान और गतिविधियों की व्याख्या की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।



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कार्यों के लिए किया गया सम्मानः

लोक संस्कृति के क्षेत्र में डॉ. कपिल तिवारी, लोक संस्कार के लिए डॉ. बीएन गोस्वामी, मालवीय लोक चित्रकला के लिए डॉ. रेखा भटनागर, निमाड़ी लोक चित्रकला में सुषमा साकल्ले, आदिवासी लोक कला में कलाश्याम, बुंदेली लोक शिल्प क्षेत्र में सुरेश राठौर, लोक गीत में पन्नालाल अहिरवार, बुंदेली लोक गीत गीतकार राजाराम पाल, बाल साहित्य में अनवारे इस्लाम समेत अन्य विभूतियों को उनके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

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