Hindi, asked by parteaaditi, 2 months ago

मज़दूरों ने नदियों के बहाव को किसलिए रोका?​

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Answered by kalivyasapalepu99
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नदियों के बहाव में अनियमितता आने के कारण किनारों पर कटाव बढ़ता जा रहा

असम के कई इलाकों में नदियों के बहाव में अनियमितता आने के कारण किनारों पर कटाव बढ़ता जा रहा है। इन कटावों की चपेट में नदियों के किनारे बनाए गए कई स्कूल समेत अनेक छोटे-बड़े रिहायशी मकान भी आए हैं। सदियों पहले नदियों के साथ बह कर आई मिट्टी से निर्मित असम राज्य अब इन्हीं व्यापक जल-भंडारों के जाल में फंस कर बाढ़ व भूमि कटाव के श्रप से ग्रस्त है। ब्रह्मपुत्र और बराक व उनकी करीब 50 सहायक नदियों का द्रुत बहाव अपने किनारों की बस्तियों-खेत को जिस तरह उजाड़ रहा है, उससे राज्य में कई तरह के सामाजिक, कानून व्यवस्था और आर्थिक विग्रह जन्म ले रहे हैं।

राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के आंकड़े बताते हैं कि असम राज्य के कुल क्षेत्रफल 78.52 लाख हेक्टेयर में से 31.05 लाख हेक्टेयर यानी करीब 39.5 फीसद हर साल नदियों के जल-प्लावन में अपना सबकुछ लुटा देता है। यह आंकड़ा कितना भयावह है, इसके लिए पूरे देश में बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का आंकड़ा गौरतलब है जो कि महज 9.40 प्रतिशत है। राज्य में हर साल बाढ़ का दायरा विस्तारित हो रहा है और इसमें सर्वाधिक खतरनाक है नदियों द्वारा अपने ही तटों को खा जाना। गत छह दशक के दौरान इस राज्य की 4.27 लाख हेक्टेयर जमीन कट कर पानी में बह चुकी है जो कि राज्य के कुल क्षेत्रफल का 7.40 प्रतिशत है।

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