Hindi, asked by Sbhavicka07, 9 months ago

mazdooron ki samasya par anuched likhiye

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Answered by GREAT1HELPER
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{ अनुच्छेद }

पूर्णिया, जागरण संवाददाता : अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर गुरुवार को विभिन्न मजदूर संगठन द्वारा कार्य क्रम आयोजित कर मजदूरों की समस्या व निदान पर चर्चा की गई। कार्यक्रम नगर निकाय पेंशनर परिवार कार्यालय परिसर में की गई। कार्यक्रम का आयोजन नगर पेंशनर परिवार, बिहार राज्य चालक संघ, बिहार राज्य तौलिक मजदूर संघ, जिला रिक्शा मालिक सह चालक संघ एवं बुजुर्ग समाज के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। वकील दास, जग्रन्नाथ प्रसाद यादव, अन्नत लाल यादव, अवधेश कुमार सिंह एवं भोलानाथ आलोक कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल में शामिल थे। कार्यक्रम की शुरुआत सर्व प्रथम काम के घंटे तय करने करने के लिए वर्ष1886 में शिकागो में आन्दोलनकारी मजदूरों की बरसी पर पुष्पांजलि की गई तथा उनके आत्मा की शांति के लिए मजदूर व उनके नेताओं ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धापूर्वक सलामी दी। इस मौके पर भोला नाथ आलोक ने कहा कि इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी मजदूरों की दशा में सुधार नही हुआ है। मजदूरों को बेकारी, भुखमरी एवं पलायन की पीड़ा झेलनी पड़ रही है। उन्होंने मनरेगा पर चर्चा करते सवाल किया कि वर्ष के 365 दिन में सिर्फ 100 दिनों की मजदूरी की गारंटी के बाद 265 दिन आखिर मजदूर क्या करेंगे। श्री आलोक ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र में रिक्शा चालकों के लिए पड़ाव की सुविधा नही है। ट्रक, टेम्पू और अन्य चालकों की भी ऐसी ही स्थिति है। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की हालत तो और भी दयनीय है। संगठित क्षेत्र के मजदूर महंगाई से त्रस्त है। दुनिया के सभी मजदूर एक हो का नारा भी पूर्णिया में सच होता नही दिख रहा है। उन्होंने मजदूर व उनके संगठनों का आह्वान किया कि हक पाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। कार्यक्रम को वरिष्ठ साहित्यकार चन्द्रकिशोर जायसवाल, प्रो.अहमद हसन दानिश, प्रो.अमरेन्द्र ठाकुर, सुदीप राय मुन्ना, शुकदेव प्रसाद चौधरी, शिवपूजन भगत, अभिमन्यु कुमार मन्नू आदि ने संबोधित किया

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