meaning of jinko dekhe dukh upjat hai tinko karbo pare salam
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" जिनको देखे दुख उपजत है तिनको करना परि प्रणाम " का अर्थ है कि जिनको देखने से ही दुख होता है उनको नमस्ते या सलाम करनी पड़ रही है।
- उपुर्युक्त पंक्तियां कुम्भनदास जी की है। एक बार बादशाह अकबर ने उन्हें फतेह पुर सीकरी पुरस्कार देने के लिए आमंत्रित किया।
- कुम्भनदास जी ने पुरस्कार तो के लिया परन्तु बाद ने उन्हें इस बात का पछतावा होने लगा कि उन्होंने यह पुरस्कार स्वीकार ही क्यों किया? उन्होंने कहा कि फतेह पुर सीकरी में उनका क्या काम ? वहां तक आने जाने में उनके जूते घिस गए तथा वे भगवान का नाम लेना भूल गए , ऐसे पुरस्कार से क्या फायदा ?
- उन्होंने अपनी कविता में अपने भाव इस प्रकार प्रकट लिए : सन्तन को कहा सीकरी सों काम, अवत जात पनहिया टूटी , बिसर गयो हरि नाम। जिनको देखे दुख उपजत , तिनको करना परि प्रणाम।
- उन्होंने अपनी कविता में कहा कि भगवान के नाम के बिना सारे कार्य व्यर्थ है।
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