Hindi, asked by sm8jswannen, 1 year ago

Meaning of the complete poem mitti ki mahima by shivmangal singh suman

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Answered by Chirpy
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      कविता में कवि शिवमंगल सिंह सुमन मिट्टी की महिमा बताते हैं। निर्दयी कुम्हार के हाथों ने मिट्टी को मारा और पीटा। मिट्टी को अनेक बार बिखेरा गया पर वह मिटी नहीं।

      बच्चे की गुड़िया के समान मासूम मिट्टी का क्या व्यक्तित्व है, वह छानने पर छन जाती है, धूप में तपती है, रात होने पर गिर जाती है, आंधी में उड़ जाती है और वर्षा होने पर पिघल जाती है।

      फसल उगती है, फसल की कटाई होती है पर मिट्टी हमेशा उर्वर रहती है। उसे सौ बार बनाया जाता है और सौ बार तोड़ा जाता है पर मिट्टी अनश्वर है। वह पिघल जाती है पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।

      मिट्टी में से अनेक रूप उत्पन्न होते हैं और उसमें विलीन हो जाते हैं। उसने अनेक ब्रह्मांडों को हिलाया है, अनेक प्रलय देखे हैं और अनेक काल उसकी गोद में खेले हैं।

      अगर वह रोती है तो पतझड़ आता है, उसके हँसने से चारोंओर वसंत छा जाता है, उसके झूलने पर बच्चे झूलते हैं, उसके नृत्य के सामने सबसे अच्छे नृत्य भी शर्माते हैं और उसके द्वारा मिलने वाले आनंद के सामने मदिरा का नशा कुछ नहीं है।

      अगर उनचास बादल, उनचास वायु, आकाश उसे बराबर करें, भारी वर्षा हो, तूफान रुक जाये तब भी मिट्टी हँसती रहती है। कोयल उड़ जाती है पर उसका गाना हमेशा रहता है, मिट्टी पिघल जाती है पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।



Answered by Anonymous
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Answer:

      कविता में कवि शिवमंगल सिंह

सुमन मिट्टी की महिमा बताते हैं। निर्दयी कुम्हार के हाथों ने मिट्टी को मारा और

पीटा। मिट्टी को अनेक बार बिखेरा गया पर वह मिटी नहीं।

      बच्चे की गुड़िया के समान मासूम मिट्टी का क्या व्यक्तित्व है, वह

छानने पर छन जाती है, धूप में तपती है, रात होने पर गिर जाती है, आंधी में उड़ जाती

है और वर्षा होने पर पिघल जाती है।

      फसल उगती है, फसल की कटाई होती है पर मिट्टी हमेशा उर्वर रहती है।

उसे सौ बार बनाया जाता है और सौ बार तोड़ा जाता है पर मिट्टी अनश्वर है। वह पिघल

जाती है पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।

      मिट्टी में से अनेक रूप उत्पन्न होते हैं और उसमें विलीन हो जाते

हैं। उसने अनेक ब्रह्मांडों को हिलाया है, अनेक प्रलय देखे हैं और अनेक काल उसकी गोद

में खेले हैं।

      अगर वह रोती है तो पतझड़ आता है, उसके हँसने से चारोंओर वसंत छा

जाता है, उसके झूलने पर बच्चे झूलते हैं, उसके नृत्य के सामने सबसे अच्छे नृत्य भी

शर्माते हैं और उसके द्वारा मिलने वाले आनंद के सामने मदिरा का नशा कुछ नहीं है।

      अगर उनचास बादल, उनचास वायु, आकाश उसे बराबर करें, भारी वर्षा हो,

तूफान रुक जाये तब भी मिट्टी हँसती रहती है। कोयल उड़ जाती है पर उसका गाना हमेशा

रहता है, मिट्टी पिघल जाती है पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।

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