Hindi, asked by Mampivaishu, 10 months ago

Meaning of the full poem nar ho naa nirash karo man ko

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Answered by pranjalkbr
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      नर हो न निराश करो

मन को कविता में कवि मैथलीशरण गुप्त जी कहते हैं कि मानव का जीवन पाकर कुछ काम

करना चाहिए। अपने जीवन को व्यर्थ नहीं होने दो, अपने तन का उपयोग करो और अपना नाम

करो। मानव जीवन पाकर मन को निराश मत होने दो।

     अपने को संभालो ताकि अच्छा समय यूँही न

निकल जाये। अच्छा कार्य कभी निष्फल नहीं होता। जग को एक सपना न समझो, अपना रास्ता

स्वयं निकालो। भगवान सहायता करने के लिए हैं। तुम्हारे लिए सब तत्व उपलब्ध हैं,

तुम उठकर अमृत पान करो और अमरत्व प्राप्त करो। हमेशा अपने स्वाभिमान का ध्यान रखो,

सब कुछ चला जाये पर सम्मान न जाये। कुछ भी हो जाये पर अपना साधन मत छोड़ो। मानव

जीवन पाकर मन को निराश मत होने दो।

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