meaning of veero ka kaisa ho vasant poem
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can you tell the class ???
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वीरों का कैसा हो वसंत' कविता सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा लिखी गई है|
कविता में कवयित्री ने एक वीर सैनिक सारी सुख-सुविधा का त्यागकर देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहता है, उनका वसंत कैसा होगा वर्णन किया है|
हिमाचल पुकार रहा है , बार-बार गरज रहा है| पूर्व-पश्चिम समेत दसों दिशाएँ यह प्रश्न कर रही है वीरों का वसंत कैसा होना होगा| वीरों के जीवन में वसंत तभी होगा जब वह अपने परिवार के साथ खुशियों से मना पाएंगे लेकिन वीरों का वसंत तो युद्ध में निकाल जाता है| कवयित्री दुःख प्रकट करते हुए कहती है आज भूषण और चंद जैसे कवि नहीं रहे , जो छन्दों में जान डाल सके|अंग्रेजों शासकों ने कवियों की लेखनी पर त्याग लगा दिया, उनकी कलम छीन ली गई है|
वीरों के लिए वसंत के रंग और रण का स्वरूप यह है कि वीर वसंत ऋतु के रंगोत्स्व से | परे वसंती चोला पहनकर देश की रक्षा वह स्वतंत्रता के लिए रणभूमि की पर निकल पड़े है| उनका चोला वसंती रंग का है जो वीरता और बलिदान का प्रतीक है|