Meaning of यह बिनती रघुबीर गुसाईं।
और आस-विस्वास-भरोसो, हरो जीव-जड़ताई
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एक भरोसा, एक आस, एक विश्वास…. – पूज्य बापू जी
June 1, 2010 211 ऋषि प्रसादः जुलाई 2010 by Gurukripa
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"यह विनती रघुवीर गोसाईं, और आस विश्वास हरो जीव जङताई"। यह विनती गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित विनय पत्रिका के पदों से लिया गया है।
Explanation:
- इस पंक्ति के माध्यम से तुलसीदास जी अपने प्रभु श्रीराम से विनती करते हुए कह रहे हैं- "हे प्रभु! हे रघुनाथ! इस जीव को दूसरे साधन देवता या कर्मों पर जो आशा विश्वास और भरोसा है उस मूर्खता को आप हर लीजिए।"
- कहने का तात्पर्य है की हे प्रभु! आपमें जो हमारा विशुद्ध प्रेम है, आपके प्रति जो प्रेम है वह निरंतर बढ़ता रहे, उसमें कोई कमी नहीं आए।
- इस संसार के जितने भी संबंध हैं स्त्री-पुरुष, परिवार, माता-पिता भाई-बहन सब संबंधों से बढ़कर वह संबंध एक जगह सिमटकर केवल आप में ही रम जाए।
- मैं जितने भी योनियों में जन्म लूं, उन सभी योनियों में आपकी कृपा हम से पल भर के लिए भी ना छूटे और मैं आपका भक्त बना रहा हूं।
- आप में ही रमा रहूं, इसलिए हे प्रभु! इस जीव को जो दूसरे देवता में, दूसरे साधनों में, (धर्म आडंबर के जितने भी दूसरे साधन होते हैं) विश्वास है उस विश्वास और भरोसा को मूर्खता समझकर आप हर लीजिए, और अपने शरण में हमें ले लीजिए।
- हे प्रभु! इस विनती को स्वीकार कीजिए।
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