Meera ne apne hridoy ki adheerta ko kaise prakat kiya haiमीरा ने अपने हृदय की अधीरता को कैसे प्रकट किया है
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unhone pahile seekha fir uske bad unko kuchh samaj k liye achha karke dikhana h
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मीरा का हृदय सदा कृष्ण के पास रहना चाहता है। उसे पाने के लिए इतना अधीर है कि वह उनकी सेविका बनना चाहती हैं। इसी कारण वह श्याम की चाकर बनकर रहना चाहती हैं जिससे हर समय अपने प्रिये को निहार सके, दर्शन कर सके और उनके निकट रह सके।
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