Meerabai ke dohe arth ke sath
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मन रे परसी हरी के चरण
सुभाग शीतल कमल कोमल
त्रिविध ज्वालाहरण
जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण
जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण
जिन चरण प्रभु परसी लीन्हे करी गौतम करण
जिन चरण फनी नाग नाथ्यो गोप लीला करण
जिन चरण गोबर्धन धर्यो गर्व माधव हरण
दासी मीरा लाल गिरीधर आगम तारण तारण
मीरा मगन भाई
लिसतें तो मीरा मगनभाई
हिंदी अर्थ :
मीरा का मन सदैव कृष्ण के चरणों में लीन हैं |ऐसे कृष्ण जिनका मन शीतल हैं | जिनके चरणों में ध्रुव हैं | जिनके चरणों में पूरा ब्रह्माण हैं पृथ्वी हैं | जिनके चरणों में शेष नाग हैं | जिन्होंने गोबर धन को उठ लिया था | ये दासी मीरा का मन उसी हरी के चरणों, उनकी लीलाओं में लगा हुआ हैं |
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