megh aaye कविता का भाव पक्ष
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मेघ आये कविता का भाव पक्ष...
मेघ आए कविता ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ द्वारा लिखित एक कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने मेघों के कारण उत्पन्न प्राकृतिक दृश्यों का सुंदर चित्रण किया है।
कवि ने मेघों का मानवीकरण करके उनका सुंदर चित्रण किया है। कवि के अनुसार ग्रामीण संस्कृति में दामाद के अपनी ससुराल आने पर घर में जो उल्लास का वातावरण बनता है। वैसा ही उल्लास का वातावरण मेघों के आने पर बनता है। बरसात के दिनों में जब बादल उमड़-उमड़ कर सारे आसमान में छा जाते हैं, बिजली चमकने लगती है, और फिर बादल बरसने लगते हैं, उस दृश्य का आनंद एकदम अप्रतिम होता है। कवि ने मेघों के आने और बरसने से उत्पन्न आनंददायक वातावरण का सुंदर चित्रण किया है। कवि ने मेघों का चित्रण करने के लिये अपनी कविता में मानवीकरण अलंकार का सुंदर उपयोग किया है।
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Answer:
इस कविता में कवि ने बादलों की तुलना दामाद (बेटी का पति) से की हैं जो शहर से लंबे समय बाद अपने गांव (ससुराल) पहुंचा हैं।जिसके आने की खबर उसके गांव पहुंचने से पहले , गांव की किशोरियों दौड़ती-भागती गांव वालों को दे देती हैं।
गांव के सभी लोग उत्सुकता बस उस मेहमान को देखते हैं और गांव के बड़े बुजुर्ग आगे बढ़कर उस मेहमान का स्वागत करते हैं। घर पहुंचने पर घर के किसी सदस्य द्वारा परात (एक तांबे या पीतल का बड़ा बर्तन) में पानी भरकर उसके पैर धोए जाते हैं। पति को घर आया देखकर पत्नी भी खुश हो जाती है और उसके मन से यह संदेह भी निकल जाता है कि उसका पति नहीं लौटेगा और वह मन ही मन अपने पति से माफी मांगती है। दोनों के मिलन से खुशी के आंसू बहने लगते हैं।
कवि ने इस पूरी कविता में मानवीकरण अलंकार का बहुत खूबसूरत प्रयोग किया है। जैसे बादल को मेहमान , पीपल के पेड़ को गांव के बड़े बुजुर्ग , लता को घर की बेटी , धूल को गांव की किशोरी , नदी को गांव की बहू और धरती को नायिका के रूप में दिखाया है।
कवि ने बादलों की तुलना बन संवर कर लम्बे समय बाद गांव आने वाले मेहमान से की है। बादलों के आने से जहां धरती प्रसन्न होती है। भीषण गर्मी के कारण प्यासे पौधों को भी पानी मिलता है। जिससे उनमें पुनः जान आ जाती है। तालाब , नदियां पानी से लबालब भर जाते हैं। और वर्षा के आने से या घने बादलों के छाने से धरती के सभी लोग प्रसन्न हो जाते हैं।
दरअसल ये कविता दो अर्थो में कही गई हैं। एक तो आकाश में धने बादलों के छाने व झमा-झम बरसने से धरती , पेड़-पौधें , नदी , तालाब पुनर्जीवित हो जाते हैं। दूसरा इसमें ग्रामीण सांस्कृतिक परिवेश को भी दर्शाया गया है जिसमें गांव में अगर कोई मेहमान आता है तो पूरा गांव प्रसन्न हो जाता है और उसकी खातिरदारी में लग जाता है। यह पुराने समय की बात है। आजकल ऐसा कम ही देखने को मिलता है।