megh aye bade ben than ke saj savar ke alankar batae
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जब किसी कविता, दोहे या गद्य में प्रकृति को मनुष्य की तरह व्यवहार करते हुए दिखाया जाये, तो उसे मानवीकरण अलंकार कहते हैं. जैसे - मेघ आये बन ठन के, सज-संवर के, इस वाक्य में बादलों का मानवीकरण किया गया है. इससे गद्य व पद्य की सुन्दरता कई गुनी बढ़ जाती है.
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