mele per Hindi me niband funfair
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भारत देश में मेला का आयोजन एक समाज की सुंदरता के रूप में पाई जाती है, हमारे देश में किसी भी मेला तथा कथा का अपना ही एक महत्व होता हैं |
किंतु इस मेले में भी अन्य मेलों की तरह रोचक तथा मनोरंजन दृश्य देखने को मिलता है, मेला एक ऐसा स्थान है, जहां पर लोग अपनी दैनिक जीवन के सभी कष्टों को भूल कर कुछ क्षण के लिए अपने बचपन में आनंदमय होकर खो जाते है|
हमारे देश में जब इलाहाबाद के क्षेत्र में कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है, तब इस मेले में सर्वप्रथम सरकार का योगदान रहता है, जो कि आज के समय में बड़ी रोचक तथ्य है |
देश में कुंभ के मेले को एक धार्मिक महत्व के रूप में माना जाता है, यह मेला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा ही भव्य मेला के रूप में मनाया जाता है | इस मेले में विदेशों से विदेशी पर्यटन भी पर्यटक स्थल के लिए भ्रमण करने आते हैं|मेला को इस प्रकार के मनोरंजन का केंद्र माना जाता है | जबकि मनोरंजन किसी की उम्र को देखकर नहीं आती है, मेले में भिन्न प्रकार के क्रिया कलाप का आयोजन किया जाता है|जैसे की जादूगर, बन्दूकबाज़ ,मदारी , पशुओं की सवारी आदि |मेले में बूढ़े तथा बच्चे जवान सभी लोग अपने मनपसंद की खरीदारी करते है, तथा अच्छे-अच्छे पकवान खाते हैं, यह अवसर हमें केवल मेले के समय ही प्राप्त होता है| कारण यह है की, मेले में चारों तरफ दुकाने होती हैं जोकि हमारे मन को आकर्षित करती हैं|
उन सभी कार्यक्रमों को आनंदमय रूप से देखने के लिए बड़ी तादाद में भीड़ इकट्ठा होती है | मेला का दृश्य देखने के पश्चात जब हम अपने घर लौटते हैं, तब हमें घर भी लौटने का मन नहीं करता ऐसा लगता हैं कि मेले में ही बस जाएँ |
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मेले भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करते है मेलों के कारण लोग एक दूसरे से उत्साह से मिलते हैं और कुछ समय आनंद के साथ व्यतीत करते है. भारत में बड़े कुंभ के मेले से लेकर छोटे मेले हर साल लगते है कुछ मेले महीनों तक चलते हैं और कुछ एक-दो दिन और कुछ एक ही दिन तक चलते है.
भारतीय लोगों में मेलों को लेकर बहुत उत्साह रहता है वह मेले से 2 दिन पूर्व की इसकी तैयारियां करने लग जाते है. मेलों को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह है बच्चों में होता है क्योंकि उनको वहां उनको मनपसंद खिलौने एवं आइसक्रीम झूले झूले को मिलते है.
मेलों में दुकानदार दूर-दूर से अपना सामान बेचने आते है. आज मैं आपको मेरे द्वारा मेले में किए गए भ्रमण का वर्णन करता हूं. हमारा गांव हरिद्वार से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है हमारे गांव में हर साल दुर्गा पूजा के अंतिम दिन एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला एक बहुत बड़े मैदान में आयोजित किया जाता है जहां पर हम रोज क्रिकेट भी खेलते है.
इस मेले का आयोजन इतना भव्य होता है कि आस-पास के गांव वाले भी इस मेले को देखने आते है. इस दिन हमारे गांव में बहुत चहल पहल रहती है. हम मेले वाले दिन सुबह उठकर अपना दैनिक कार्य करके मेले में जाने के लिए तैयार होते है. मैं, मेरा पूरा परिवार और मेरे दोस्त एक साथ मेला देखने के लिए जाते है.
हम जैसे ही मेले में प्रवेश करते हैं वहां पर बहुत भीड़ भाड़ रहती है लोग एक दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए चलते हैं क्योंकि वहां पर इतनी भीड़ होती है कि चलने की जगह ही नहीं होती है. इतनी भीड़ भाड़ होने के बावजूद भी लोग बड़े उत्साह से मेले का भरपूर आनंद लेते है. हम मेले में जाकर सबसे पहले मां दुर्गा के दर्शन करते है इसके बाद वहां हो रही सांस्कृतिक कार्यक्रम देखते है.
कुछ समय बाद हम मेला देखने निकल जाते हैं मैं और मेरे मित्र हर दुकान पर जाकर मोल भाव करते हैं और कुछ जरूरी सामान खरीदते है साथ ही अपने छोटे भाई बहनों के लिए खिलौने भी खरीदते है. इसके बाद हम छोटे बड़े झूलों में झूला झूलते है. मेले में कुछ दुकानदार चिल्ला-चिल्लाकर आइसक्रीम और खाने की वस्तु में भेजते रहते हैं हम उनसे कुछ आइसक्रीम और चाट खरीदकर बड़े चाव से खाते है.
मेले में बहुत शोर शराबा होता है क्योंकि सभी लोग चिल्ला-चिल्लाकर कुछ ना कुछ बेच रहे होते हैं और साथ ही वहां पर कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं तो वहां से DJ की आवाज आती रहती है. वहां पर जादूगर अपना खेल दिखाता है कभी कबूतर को खरगोश बनाता है तो कभी किसी को गायब कर देता है यह देखने में बहुत ही मजा आता है.