History, asked by kumariroopa1841, 3 months ago

Mention the names of an
किन्हीं दो 'यज्ञों' के नाम लिखिए।​

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Answered by awargandpurushottam
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Answer:

यज्ञ, कर्मकांड की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है। जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है। यह शुद्ध होने की क्रिया है। इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है।

अधियज्ञोअहमेवात्र देहे देहभृताम वर ॥ 4/8 भगवत गीता

अनाश्रित: कर्म फलम कार्यम कर्म करोति य:

स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रिय: ॥ 1/6 भगवत गीता

शरीर या देह सेवा को छोड़ देने का वरण या निश्चय करने वालों में, यज्ञ अर्थात जीव और आत्मा की क्रिया या जीव का आत्मा में विलय, मुझ परमात्मा का कार्य है।

यज्ञ का अर्थ जबकि कर्मकांड है किन्तु इसकी शिक्षा व्यवस्था में अग्नि और घी के प्रतीकात्मक प्रयोग में पारंपरिक रूचि का कारण अग्नि के भोजन बनाने में, या आयुर्वेद और औषधीय विज्ञान द्वारा वायु शोधन इस अग्नि से होने वाले धुओं के गुण को यज्ञ समझ इस 'यज्ञ' शब्द के प्रचार प्रसार में बहुत सहायक रहे।

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