Hindi, asked by dabasayushd, 1 year ago

Mera ke kavya me virha ki anubhuti charam sima par hai

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Answered by pothothsangeeta
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मेरा मायका रचना ईश्वरीय प्रेम के दोनों पक्षों संयोग और वियोग पर आधारित है यदि प्रेम को किसी कसौटी पर परखा जा सकता है तो वह है विरह वेदना की अनुभूति मीराबाई के विवरण में स्पष्ट रूप में प्रेम तड़पते हुए अपने प्रेमी की प्रतीक्षा करने का सजीव चित्रण है वह श्री कृष्ण के दर्शन के लिए तड़पती रहती है और विरम में इतनी व्याकुल है कि अपने प्रेमी से मिलने के लिए कुछ भी करने को तैयार है वह अदर रात्रि के समय कृष्ण के यमुना नदी के किनारे मिलने की विनती करती है या तक कि वह उनके उनकी सेविका भी बनने को तैयार है मीरा कृष्ण के दर्शन के लिए कसुंबी साड़ी पहनने को तैयार है वह अपनी भाव भक्ति को अपनी सबसे बड़ी जागीर मांगू कृष्ण दर्शन की अभिलाषा है इस प्रकार कहा जा सकता है कि मीरा के काव्य विरह वेदना अनुभूति अपनी चरम सीमा पर है

Answered by naman8768
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Answer:

मीरा अपने आराध्य कृष्ण से मिलना चाहती है। अपने प्रभु से मिलने के वह आतुर है। इसके लिए वह उनकी सेविका भी बनने से नहीं हिचकिचाती। वहाँ सेविका बनकर वह हर कार्य करना चाहती, जिससे अपने आराध्य के दर्शन पा सके। यह उनके विरह की चरम सीमा है, जहाँ एक भक्त को दास स्वरूप भी भाता है।

Explanation:

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