Hindi, asked by priyankaridhans4320, 7 months ago

Mera mohalla nibandh 500 words

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Answered by raafiya28
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Explanation:

मेरे घर के बगल में एक राशन और छुट -पुट खाने की दुकान है जिसका नाम अयाह-ह मार्केट है I अक्सर ही मैं वहाँ से रोज़मर्रा की चीज़ें खरीद लिया करती हूँ – दूध, ब्रेड, अण्डा वगैरह I कई राशन की दुकानों की तरह ये दुकान भी परिवार की मिली जुली मेहनत से चलती है I गल्ले पे कभी बड़ा बेटा होता है तो कभी उसकी माँ, फलाफल तलते हुए कभी पिता जी दिख जाते हैं तो कभी उनकी मदद करते हुए उनकी छोटी बेटी, हफ्ते के अंत में और अक्सर शनिवार को पूरा परिवार ही गाड़ी से थोक का सामान उतारने में लगा रहता है I जैसे की दुकानदारी और दुकानदार का आम जीवन I कुछ एक महीने पहले वहाँ चोरी भी हुई , छुरी दिखाकर एक नौजवान सौ डॉलर ले कर चंपत हो गया I आने वाले कुछ दिन मोहल्ले की सारी दुकानों में एक धुंधली सी फोटो चिपकी रही, पर पकड़ा नहीं गया I परिवार की माँ जिनका नाम ईमान है, उनसे मेरी दोस्ती हो चली, जैसे कि गप मारती हुई औरतों की अक्सर हो जाया करती है और बातों ही बातों में वो और मैं अब अनजान नहीं रहे I सबूत के लिए – वो अक्सर मेरी उधारी मान लेती है और कभी कभार मुफ्त में मेरी पसंदीदा तुर्की मिठाई ,बकलावा ,मेरे सामान में डाल देती हैं I मेरी खुशकिस्मती I जब से चोरी हुयी, ईमान को पैसे खो जाने का इतना गम नहीं है जितना कि वो डर जो वो अक्सर महसूस किया करतीं हैं, खासकर कि जब अँधेरा हो जाने के बाद वो दुकान में अकेली होती हैं I

आलस से परेशान, अक्सर मैं ईमान की दुकान से फलाफल खा लिया करती हूँ , आज भी उसी इरादे से खरीदने गई I बहुत सारे ग्राहक पहले से खड़े थे तो ईमान ने मुस्कुरा कर मेरे गप मारने के इरादे को टाल दिया I अपना ऑर्डर देकर मैं दुकान में यहाँ वहाँ देखने लगी I दुकान में अक्सर फ़ारसी या अर्बी में टी. वी. ड्रामा लगे रहते हैं जिनकी धीमी आवाज़ दुकान को भरे रहते हैं I जब भी मैंने उन पर नज़र डाली है, सास बहु जैसी कहानियाँ ही लगती हैं, मुझे न तो फ़ारसी आती है और न ही अर्बी तो टी. वी. पर आते जाते लोगों की नाटकीयता से ही अंदाज़ा लगाना पड़ता है कि भला क्या होगा ? पर आज जब मैंने नज़र डाली तो बाकी दिनों से फ़र्क नज़ारा दिखा I कोई प्रकार का पीरियड ड्रामा जैसे घर पर नानी -दादी ‘देवों के देव महादेव’ या फिर माँ ‘अशोक’ सरीखा कुछ देख रहीं हों I ग्राहकों की भीड़ छंट चुकी थी और ईमान जी अब मेरा ऑर्डर तैयार कर रहीं थी I मैंने उनसे पूछा कि ये कोई नया सीरियल चालू हुआ है क्या? देखने में बड़ा भव्य लग रहा है? और थोड़ा राजा अमीरों टाइप की कहानी I फलाफल के ऊपर बारी बारी से प्याज़ और गाजर डालती हुई ईमान ने कहा – ये पैगंबर यूसुफ की कहानी है , वही जो याकूब के बेटे थे और ग्यारह भाइयों में से एक जिन्हे पैगम्बर का दर्ज़ा मिला और जिन्हें जोसफ के नाम से भी जाना जाता है I बड़ा ही महंगा सीरियल है, सबसे पहले ईरान में बना था, फारसी में, और उसके बाद अर्बी में भी – सफर करते करते पाकिस्तान भी पहुँच चुका है I सबसे ख़ास बात, ईमान ने मुझे बताया, यह थी कि जैसा क़ुरान में है , बिल्कुल वैसे ही बनाया है I ‘बड़े सुन्दर सुन्दर अदाकार भी है, खाली समय में नज़र डाल लेती हूँ’, और मुस्कुरा कर मेरा खाना मेरे हाथ में थमा दिया I

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