Hindi, asked by purchase79, 10 months ago

Mera parivaar essay in hindi​

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Answered by rattadatta8
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व्यक्ति अपने जन्म से जहां निवास करता है वह उसका परिवार होता है। इसके अतिरिक्त विवाह के पश्चात् बनने वाले कुछ प्रमुख संबंध परिवार के अन्तर्गत आते हैं। यह आवश्यक नहीं की व्यक्ति के मध्य खून या विवाह का संबंध हो तभी वह समुह परिवार कहलायेगा। इन सब के अतिरिक्त यदि परिवार द्वारा किसी बच्चे को गोंद लिया जाता है, अपनाया जाता है, तो वह बच्चा भी परिवार का हिस्सा होगा। परिवार व्यक्ति के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण ज़रुरत है।

परिवार में बड़े-बुजुर्गों का महत्व

संयुक्त परिवार जिसमें हमारे बड़े-बुजुर्ग (दादा-दादी, नाना-नानी) हमारे साथ रहते हैं, जो ज्ञान और अनुभव की कुंजी होते है। अब वह मूल परिवार का हिस्सा नहीं होते जिससे की बच्चे कई महत्वपूर्ण आदर्शों, संस्कारों को जानने से वंच्छित रह जाते हैं। पहले बच्चे खेलने के समय पर खेलते तथा दादा-दादी की कहानीयां भी सुनते जिससे उनको ज्ञान मिलता था पर वर्तमान समय के बच्चे खेलने के लिए अपने बाल्यावस्था से ही मोबाइल का प्रयोग करते हैं। मूल परिवार ने कहीं न कहीं बच्चों का बचपन भी छीना है।

जैसा की हम सभी जानते हैं, समाज में, दो प्रकार के परिवार पाए जाते हैं, एकल (मूल), तथा संयुक्त परिवार। जिस प्रकार हर सिक्के के दो पेहलु होते हैं ठीक उसी प्रकार परिवार के दोनों स्वरूपों से जुड़े कुछ लाभ तथा हानियां हैं। जिसमें से कुछ निम्नवत् हैं-

संयुक्त परिवार के लाभ तथा मूल परिवार की हानियां-

संयुक्त परिवार में माता-पिता के घर में न रहने पर भी बच्चे दादा दादी या अन्य बड़ों के निगरानी में रहते हैं, जिससे वह अकेला महसूस नहीं करते हैं। जबकि मूल परिवार में माता-पिता के घर पर न होने के दौरान बच्चे अकेले हो जाते हैं।

संयुक्त परिवार के उपस्थिति में बच्चों को घर में ही खेलने योग्य वातावरण मिल जाता है, जिसमें वह अपने बड़ो के साथ खेल सकता हैं। इसके विपरीत मूल परिवार में बच्चों को यदि खेलना है तो सदैव उन्हें बाहर के लोगों के साथ मिल कर खेलना होता है।

अगर घर के एक-दो सदस्यों से व्यक्ति की अन-बन भी हो गई फिर भी, परिवार में ज्यादा लोगों की संख्या के फलस्वरूप व्यक्ति कभी अकेला महसूस नहीं करता। जबकि मूल परिवार में परिवार के सदस्यों की एक-दूसरे से अन-बन होने पर व्यक्ति अकेला पड़ जाता है।

व्यक्ति के वृद्ध हो जाने पर उन्हें अपने बच्चों की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है, अतः संयुक्त परिवार के अवधारणा से व्यक्ति सकुशल अपने परिवार के देख-रेख में रहता है। इसके विपरीत मूल परिवार में बच्चों के दादा-दादी अपने पुराने मकान में निवास करते हैं जो उनके लिए सही नहीं है।

संयुक्त परिवार से संबंधित हानियां तथा मूल परिवार के लाभ-

संयुक्त परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होने के वजह से, आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। जबकि मूल परिवार संयुक्त परिवार के अपेक्षा आर्थिक रूप से मजबूत होता है।

परिवार में ज्यादा लोगों के एक साथ रहने से आपसी मत-भेद की ज्यादा संम्भावनाएं रहती हैं। इससे विपरीत मूल परिवार में लड़ाई-झगड़े कम होते हैं।

संयुक्त परिवार में कभी-कभी एक-दूसरे की तुलना में कम आमदनी प्राप्त करने के वजह से लोग खुद को छोटा महसूस करने लगते हैं तथा ज्यादा आमदनी प्राप्त करने के लिए, गलत मार्ग का चयन कर लेते हैं। और मूल परिवार में व्यक्ति खूद की तुलना अन्य से नहीं करता है।

व्यक्ति अपनी आमदनी में जीतना सुख-सुविधा मूल परिवार में अपने बच्चों को दे सकता है, उतना वह संयुक्त परिवार में अपने बच्चे को नहीं दे पाता। और मूल परिवार में व्यक्ति कम पैसे में ही अपने परिवार का पालन-पोषण सही प्रकार से कर पाता है।

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