Hindi, asked by faizanabdul868, 2 months ago

mera piriy kavi nibandh hindi me​

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Answered by tdy7350
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हिन्दी साहित्य के अथाह समुद्र में अनेंक रत्न भरे पड़े है, पसन्द अपने-अपने मन की बात है। मैं जब कभी भक्तिकालीन संत कवि कबीरदास को पढ़ता हुँ तो मेरा मस्तक उनके सम्मुख श्रद्वा से नत हो जाता है तब मुझे वही संत सबसे अधिक प्रकाशवान् प्रतीत होता है। मेरे प्रिय कवि उस समय ज्ञान का दीपक लेकर अवतरित हुए, जब समस्त संसार अज्ञान के अंधकार मंे डूबा हुआ था। उन्होंने अपने ज्ञान-रूपी दीपक का प्रकाश जन-जन के कत्याण के लिए फैलाया।

मेरे प्रिय कवि कबीर का जन्म 1339 ई. में काशी में हुआ। कहा जाता है कि दनका जन्म एक धिवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ और वह लोक-लाज के डर से इन्हें लहरतारा नामक तालाब के निकट छोड़ गई। नीम और नीरू नामक जुलाहा दम्पति ने इनका पालन-पोषण किया। इनकी शिक्षा-दिक्षा ठीक ढंग से नही हो पाई। इन्होने स्वयं लिखा है-मुझे कबीर का निडर स्वभाव बहुत भाता है। उन्होंने सामाजिक क्रांति का कार्य साहसिक ढंग से किया। उन्होंने तत्कालीन समाज में फैले हुए ढोंग, आडंबरों, जाति-पाति के भेदभाव एवं अन्य कुरीतियों पर डटकर प्रहार किया। उन्होंने कहा-’’जाति-पाति पूछे न कोई, हरि को भजै सो हरि का होई।’’

कबीरदास युग संधि पर पैदा हुए थे। उस समय समाज पर हठयोगियों, नाथपंथी साधुओं का बडा प्रभाव था। कबीर ने पक्षपात रहित होकर हिन्दुओं और मुसलमानों को उनके ढोंग-आडम्बरों के लिए फटकारा। तीर्थ, व्रत, माला फेरना, रोजा, नमाज आदि पर चोट की। उन्होने माला फेरने का विराध करते हुए कहा।

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