Mera Prakriti Prem Kavita ka Mool Bhav kya hai Hindi mai
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'मेरा प्रकृति प्रेम' कविता श्री मुकुटधर पाण्डेय की रचना है। इस कविता में उन्होंने प्रकृति की खूबसूरती का वर्णन बहुत ही सहजता एवं सुन्दर तरीके से किया है ।
इसमें पाण्डेय जी लिखते हैं कि लहलहाते हरे भरे वृक्ष एवं बहते झरनो की सुंदरता को देख जो सुख मिलता है वो दुनिया के किसी भी सुख से तुल्य नहीं है । बड़े बड़े बाग बगीचे एवं विशालकाय पर्वत दिल को मोह लेते हैं । मैना की मधुर ध्वनि , चहचहाते पक्षियों का संगीत, रंग बिरंगे फूल, कलकल करती नदियां , ये नज़ारे मन को बहुत शांति देते हैं। संसार रुपी तपते भट्ट में ये परमात्मा द्वारा बनाये गए कुदरती नज़ारे एक नयी ज़िन्दगी दे देते हैं । इन जैसा सुख और कही नहीं है ।
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