"mera pria khel " essay in hindi of 200 to 250 words
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मेरा प्रिय खेल बैडमिंटन
हमारे जीवन में खेलकूद का विशेष महत्व है। वैसे तो आजकल खेल जगत में बहुत से खेल है। मुझे सभी खेल देखना और खेलना पसंद है, परंतु इनमें मुझे सबसे ज्यादा दिलचस्पी बैडमिंटन में है। यह मेरा पसंदीदा खेल है।
यह एक ऐसा खेल है जिसे हर आयु के लोग पसंद करते है। बचपन में मैं प्लास्टिक के शटल व बैट से इस खेल को खेलता था। और जैसे-जैसे मैं बड़ा होते गया मैं इसकी तरफ आकर्षित होता चला गया। अपने दोस्तों के साथ और भाई बहन के साथ बैडमिंटन खेलना मुझे बहुत पसंद है।
हररोज थोड़ी देर बैडमिंटन खेलने से मुझे शारीरिक व्यायाम मिलता है और मैं तरोताजा महसूस करता हूँ। और इससे पढ़ाई में भी मेरा मन अच्छे से लग जाता है। और जब कभी मेरे शहर में कोई बैडमिंटन का टूर्नामेंट होता है तो मैं इसमें अवश्य भाग लेता हूँ। और मेरी यह इच्छा है की मैं बैडमिंटन में अपना करियर बनाऊँ।
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खेल कई प्रकार के होते हैं । कक्ष के भीतर खेले जाने वाले खैलों को इनडोर गेम्स कहा जाता है, जबकि मैदान पर खेले जाने वाले खेल आउटडोर गम्स कहलाते हैं । अलग-अलग प्रकार के खेल व्यायाम के महत्त्वपूर्ण अंग है । अत: अपनी रुचि एवं शारीरिक क्षमता के अनुकूल ही खेलों का चयन करना चाहिए । खेलकूद आज विभिन्न राष्ट्रों के मध्य सांस्कृतिक मेल-जोल बढ़ाने का एक उत्तम माध्यम बन गया है ।
मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है । आधुनिक युग मैं इस खेल को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व प्राप्त है । भारत में यह खेल सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है । इस खेल से लोगों को अद्भुत लगाव है । क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या नवयुवक, सभी इसके दीवाने हैं ।
क्रिकेट का जन्म इंग्लैण्ड में हुआ था । इंग्लैण्ड से ही यह खेल रुलिया पहुँचा, फिर अन्य देशों में भी इसका प्रसार हुआ । यह खेल नियमानुसार सर्वप्रथम 1850 ई. में गिलफोर्ड नामक विद्यालय में खेला गया था । क्रिकेट का पहला टैस्ट मैच 1877 ई. में ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में खेला गया था । भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच इंग्लैण्ड के विरुद्ध सन् 1932 में खेला था । टेस्ट मैच पाँच दिनों का होता है जो दो पारियों में खेला जाता है । टेस्ट मैच के अलावा यह खेल चार दिवसीय, तीन दिवसीय, एक दिवसीय भी होता है । आजकल एक दिवसीय क्रिकेट मैच तथा ट्वेंटी-20 मैच अधिक लोकप्रिय हो गया है । ट्वेंटी-20 मैच तीन-चार घंटे में ही समाप्त हो जाता है ।
क्रिकेट का खेल बड़े-से अंडाकार मैदान में खेला जाता है । मैदान के मध्य में स्थित पिच या विकेट-स्थल इस खेल का केन्द्र-बिन्दु होता है । पिच के दोनों तरफ बराबर दूरी पर तीन डंडे गाड़ दिए जाते हैं, जिन्हें ‘ विकेट ‘ कहते हैं । इस खेल में दो टीमें होती हैं । प्रत्येक टीम में 11 – 11 खिलाड़ी होते हैं । खेल आरंभ होने पर एक टीम के खिलाड़ी बल्लेबाजी करते हैं तथा दूसरी टीम के खिलाड़ी क्षेत्ररक्षण करते हैं । जीत-हार का फैसला रनों के आधार पर होता है । खेल के निर्णायक को अंपायर कहा जाता है जो खेल के दौरान विकटों के पीछे खड़ा होता है ।
आरंभ में क्रिकेट को राजा-महाराजाओं या धनाढ्य लोगों का खेल कहा जाता था । वे अपने मन-बहलाव के लिए यह खेल खेला करते थे । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया गया, परंतु हाँकी के साथ-साथ क्रिकेट भी लोकप्रिय होता चला गया । इस खेल में समय और धन अधिक लगता है फिर भी आज यह शहरों से लेकर गाँवों तक प्रसिद्धि पा चुका है । इसकी लोकप्रियता इस बात से सिद्ध होती है कि जहाँ-जहाँ भी यह खेल होता है, जनसमूह मैदान की ओर उमड़ पड़ता है ।
क्रिकेट का खेल यद्यपि लोकप्रिय है, तथापि इस खल में कुछ खामियाँ भी हैं । क्रिकेट मैचों के दौरान प्राय: सारे काम ठप्प पड़ जाते हैं । लोग काम करना छोड़ रनों और विकटों की चर्चा करने लगते हैं । कोइ रेडियो से कान चिपकाए है तो कोई टेलीविजन पर नजरें गड़ाए है । इससे राष्ट्रीय उत्पादन पर असर पड़ता है ।
क्रिकेट का बुखार थमने का नाम नहीं ले रहा । यह खेल भारत की पहचान से जुड़ गया है । क्रिकेट को लेकर लोग मानसिक तौर पर ‘ जुनून ‘ की हद पार करने लगे हैं । क्रिकेट लोगों का धर्म बन गया है । क्रिकेट में मिली हार से लोग मायूस हो जाते हैं । क्रिकेट में मिली जीत से लोग खुश होकर सड़कों पर नाचने लगते हैं । इस खेल में धन, शोहरत और आनंद का संगम है । यह केवल मेरा ही नहीं, मेरी तरह करोड़ों भारतवासियों का सबसे पसंदीता खेल है ।