Hindi, asked by poonamsrivastava786, 4 months ago

mera priy tyohar essay on holi diwali both​

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Answered by kaptansinghsinha517
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Explanation:

on holi

होली मेरा सबसे प्रिय त्योहार है । इस दिन घर-घर में उमंग एवं प्रसन्नता छायी रहती है । बाजारों में कई दिनों पूर्व से ही चहल-पहल देखी जा सकती है । मैं होली के अवसर पर माता-पिता के साथ खरीदारी करने जाता हूँ । नये वस्त्र, रंग, अबीर, पिचकारी आदि की खरीदारी करता हूँ । इनके अलावा पकवानों की सामग्री भी खरीदी जाती है । होली के दिन बहुत धूम- धाम रहती है । मैं अपने मित्रों तथा हमउम्र लोगों पर रंग डालता हूँ । मित्र भी मेरे साथ होली खेलते हैं । पिताजी तथा बुजुर्ग माथे पर गुलाल लगाकर मुझे आशीर्वाद देते हैं । फिर पुए-पकवानों को खाने तथा खिलाने का सिलसिला आरंभ होता है । गिन तथा गलियों में लोग खुश होकर नाचते हैं तथा एक-दूसरे पर रंग डालते हैं । इस दिन लोग आपसी वैर और द्वेष भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं । शाम को ढ़ोल-नगाड़े बजाए जाते हैं । लोग गीत गाकर नाचते हैं । मैं इन कार्यक्रमों में उत्साह से भाग लेता हूँ । रंगों का त्योहार होली मुझे बहुत ही आकर्षक लगता है । यह हमें बुराई से दूर रहने तथा अच्छाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है ।

on diwali

भारत एक विशाल देश है जहाँ विभिन्न धर्मों व संप्रदायों के मानने वाले लोग रहते हैं। अत: यहाँ मनाए जाने वाले पर्व भी अनेक हैं । दीपावली, होली, रक्षाबंधन व विजयदशमी हिंदुओं के चार प्रमुख त्योहार हैं ।

वैसे तो प्रत्येक त्योहार का अपना एक विशेष महत्व है परंतु इन सब में दीपावली का त्योहार मुझे विशेष रूप से प्रिय है । यह त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । दीपावली प्रत्येक वर्ष हिंदी महीनों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है ।

दीपावली का पर्व वास्तविक रूप में अनेक पर्वों का एक समूह है । इस पर्व के साथ धनतेरस, गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा दिवस तथा भैया दूज का पर्व भी मनाया जाता है । धनतेरस का पर्व दीपावली के प्रमुख दिन से दो दिन पूर्व अर्थात् त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है ।

इस दिन नए बरतन तथा आभूषण आदि खरीदने की परंपरा है । इसके पश्चात् चतुर्दशी के दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है । तत्पश्चात् अमावस्या की रात्रि को दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है । प्रतिपदा को विश्वकर्मा दिवस तथा गोवर्धन पूजा होती है । द्‌वितीया को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भैया दूज मनाई जाती है ।

दीपावली का धार्मिक, पौराणिक तथा सामाजिक सभी दृष्टि में विशेष महत्व है । इसे मनाने हेतु यह पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस दिन श्रीराम लंका के आततायी राजा रावण का वध करने के उपरांत अयोध्या को लौटे थे । अयोध्या की प्रजा ने चौदह वर्षों के उनके वनवास के पश्चात् अयोध्या वापस लौटने पर घी के दीपक जलाकर उनका हार्दिक अभिनंदन किया ।

श्रीराम के सीता तथा लक्ष्मण सहित लौटने तथा उनके अयोध्या की गद्‌दी ग्रहण करने की खुशी को व्यक्त करने हेतु वहाँ की प्रजा ने घरों में घी के दीपक जलाए । तभी से परंपरागत रूप से प्रतिवर्ष इसी दिन हम इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते चले आ रहे हैं ।

दीपावली के कई दिन पूर्व ही इसकी तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं । सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं तथा उसकी लिपाई-पुताई व नए रंगों से रंगाई कराते हैं । अमावस्या की रात्रि को सर्वप्रथम गणेश तथा लक्ष्मी का पूजन होता है व सभी ओर घरों में दीप जलाए जाते हैं ।

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