Mera Priya Khiladi par anuched
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आजकल भारत में ही नहीं विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय खेल क्रिकेट है । लोगों में क्रिकेट देखने का जनून इतना अधिक है कि दफ्तरों से छुट्टी लेकर घर में बैठकर क्रिकेट देखना अधिक पसन्द करते हैं ।
फुटबाल, हाँकी या क्रिकेट का विश्व कप हो तो स्टेडियम में उत्साह देखते ही बनता है । भीड़ को काबू में करने के लिए सशस्त्र पुलिस कर्मी नियुक्त किए जाते हैं । टीम के जीत जाने पर दर्शक खड़े होकर तालियां बजाकर स्वागत करते हैं । समाचार पत्रों में उनकी तस्वीर छपती है । राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बधाई संदेश मिलते हैं, और साथ ही अपने देशवासियों का स्नेह।
क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल चाहे कितने भी लोकप्रिय क्यों न हों पर मेरा प्रिय खेल कबड्डी है जो आज भी गाँवों, कस्बों, शहरों के स्कूलों में खेला जाता है। हर खेल की तरह कबड्डी भी मनोरंजन करने के साथ व्यायाम भी करता है । अन्य खेलों की तरह इसमें महंगे सामान और साधनों की आवश्यकता नहीं होती ।
भारत में बहुत पुराने समय से कबड्डी लोकप्रिय खेल रहा है । उस समय इस खेल के कुछ नियम थे लेकिन विषेश नियमों से नहीं बांधा गया था । लेकिन आज कबड्डी के लिए एक मैदान होना चाहिए जो आयताकार और साढ़े बारह मीटर लम्बा तथा दस मीटर चौड़ा हो ।
गाँवों और शहरों में जब बच्चे कबड्डी खेलते हैं तो किसी खाली मैदान के बीच एक लाइन खींच ली जाती है और दोनों टीमों में मुकाबला शुरू हों जाता है । क्रिकेट की टीम की तरह इसमें भी दो टीम होती हैं । दोनों टीमों में ‘12-12’ खिलाड़ी होते हैं ।
दोनों टीमों के खिलाड़ी अलग-अलग रंग के बनियान और बाघिये पहने हुए होते हैं । जिससे आसानी से यह ज्ञात हो जाएं कि कौन खिलाड़ी किस टीम का है । बनियान के आगे और पीछे उसका नम्बर लिखा रहता है । जिससे उद्घोषक को उसका नाम पता चल जाता है ।
आँखों देखा हाल सुनाते समय वह उद्घोषक खिलाड़ियों को उनके नम्बर से नहीं, उनके नाम से पुकारता है । दोनों दलों के अपने-अपने नेता होते हैं । खेल प्रारम्भ होने से पूर्व दोनों टीमों के खिलाड़ियों का एक-दूसरे से परिचय कराया जाता है । सिक्का उछालकर टॉस किया जाता है और इसी के साथ मुकाबला प्रारम्भ हो जाता है ।