mera priya ritu is vishay par nibandh in hindi
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सचमुच, वसंत की वासंती दुनिया सबसे निराली है। शिशिर ऋतु जब खत्म हो जाती है उसके बाद वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। बागों में और वनों में प्रकृति वसंत के स्वागत में लग जाती है। कलिया अपने घूँघट खोल देती है। फूल अपनी सुगंध चारों ओर फैला देते है। भौंरे गूंज उठते है और तितलियाँ अपने चमकीले रंगों से ऋतुराज का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाती है।पृथ्वी के कण कण में नया आनंद, नया उमंग, नया उत्साह, नया संगीत और नया जीवन नजर आता है।
जब सारी प्रकृति वसंत में झूम उठती है, तब मेरा मन भी खुशी के मारे झूम उठता है। सचमुच वसंत की शोभा इतनी रमणीय होती है की जीवन में एक अलग तरह का उमंग भर जाता है। एक ओर ठंडे ठंडे , मंद, सुगन्धित पवन के झोके मन को प्रफुल्लित कर देते है। दूसरी ओर फुलवारियों का यौवन बुड्ढो को भी जवान कर देता है। खिलती कलियों को देखकर मेरा दिल भी खिल उठता है। न तो गर्मी होतीं है और शीतल पवन के झोके का आंनद ही कुछ और होता है। एक ओर प्रकृति के रंग और उपर से होली का त्योहार! जैसे सोने में सुगंध मिल जाती है। ऐसा मन को प्रफुल्लित करने वाला फागुन का वसंत मुझे बहुत ही प्रिय लगता है।
कुछ लोग वर्षा को वसंत से अच्छा मानते है। वैसे वर्षा भी इतनी आवस्यक है क्योंकि उससे किशान अपनी फसलों को लहराते है। लेकिन कहाँ वर्षा का कीचड़ वाला मौसम और कहा वसंत की बहार! वह वर्षा जो धरो को धरसायी करती है, फसलों पर पानी फेरति है। नदियों को पागल करके गाँव के गाँव डूबा ले जाती है, इस ऋतु में कैसे मजा आ सकता है। इसी तरह शरद ऋतु की भी शोभा वसंत ऋतु के सामने फ़ीकी पड़ जाती है। वसंत सचमुच ऋतुराज है। अन्य ऋतुए उसकी रानियाँ या फ़िर सेविका ही हो सकती है।
मैं तो वसंत को जीवन की ऋतु मानता हु। उसका आगमन होते ही मेरा मन खुशी के मारे ज़ूम उठता है। और मेरी कल्पना, जो विचार का सागर है वो छलकने लगता है। फूलों के बागों में सैर करके मन ही नहीं भरता, ऐसा लगता है जैसे बस ये वक़्त यही थम जाए और ऐसी ही शोभा पूरी जिंदगी बनी रहे। मेरी आँखों पर तो जैसे प्रकृति के आकर्षण का लैंस लग जाते है और दिल में तो मानो जैसे खुशियोँ की बाढ़ आ जाती हो ऐसा अनुभव होता है वसंत ऋतु में। वसंत ऋतु की रानी जब मन खोल के गीत सुनाती है वो दृश्य तो आ हा हा हा! जी हा कोयल रानी की मधूर् आवाज की तो बात ही क्या करनी जैसे वो इस समय का बरसों से इंतज़ार करती हो और उसके आने से सारी खुशियाँ बहार निकाल देती है। वसंत ऋतु मे तितलियाँ तो मानो जैसे मेले में घूमने के लिए आई हो। वसंत ऋतु तितली को फूलों से प्यार और भौंरे को गुनगुनाना सिखाती .
ऐसी अनोखी और मन भावी, प्यारी और रमणीय, खुशियाँ देने वाली और हरख लाने वाली, जीवन में नए रंग भरने वाली और फूलों की ऋतु है मेरी प्यारी वसंत ऋतु! मैं सालभर इसकी प्रतिक्षा करता रहता
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