English, asked by ablokit2797, 1 year ago

Mera Sapna apna Uttrakhan pe Essay

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Answered by deepshika1512
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उत्तराखंड राज्य को देवभूमि कहा जाता है। देवताओं की भाषा चूंकि संस्कृत रही है इसलिए देवभूमि को ही संस्कृत के विकास के लिए भी चुनकर यहीं से संस्कृत के विकास का परचम लहराया जा सकता है। ऐसी मान्यता को साकार करने के लिए कई घोषणाएं सरकारों ने की हैं, लेकिन नतीजा सिफर रहा। विश्व के प्रमुख तीर्थ हरिद्वार समेत चारधाम की पुण्यस्थली उत्तराखंड में भी संस्कृत देश के अन्य राज्यों की तरह उपेक्षित है। सबसे अहम बात तो यह है कि संस्कृत को उत्तराखंड में द्वितीय भाषा का दर्जा प्राप्त है। 

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प्रदेश की वर्तमान हरीश रावत सरकार ने जरूर संस्कृत शिक्षा के माध्यम से प्राइमरी स्कूल खोलने के एक पायलट प्रोजक्ट में पहली बार दिलचस्पी दिखाते हुए देववाणी को प्राथमिक स्तर से ही पढ़ाने के प्रयोग की हिम्मत दिखाई है। 
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सरकार के शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नामचीन संस्था बनाने का संकल्प संस्कृत सम्मेलन में ले चुके थे लेकिन उनसे उच्च शिक्षा विभाग ही ले लिया गया। अब वे मात्र माध्यमिक व बेसिक शिक्षा के विभागों के ही मंत्री हैं। उच्च शिक्षा मंत्रालय डॉ. इंदिरा हृदयेश को दे दिया गया है।

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उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और इसे संस्कृत राज्य के रूप में विकसित करने के लिए उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन भी आयोजित किया, जो 3 दिन चला। इसको बाकायदा गवर्नर हाउस के ही सभागार में रखा गया था।

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संस्कृत के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विजन डाक्यूमेंट तैयार करने के लिए राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति के कुलपति की अध्यक्षता में कुलपतियों की एक स्टैंडिंग कमेटी बनाई जाएगी। राष्ट्रीय स्तर पर इस कमेटी को संस्कृत के प्रचार-प्रसार का जिम्मा भी दिया जाएगा। कमेटी संस्कृत भाषा को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से जोड़ने का भी एक खाका बनाकर केंद्र को भेजेगी।


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अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत अधिसंख्य मंत्रियों ने भी प्रतिभाग कर संस्कृत संरक्षण के लिए संकल्प व्यक्त किया था। यह तय किया गया था कि उत्तराखंड राज्य को संस्कृत भाषा के विकास में भूमिका निभानी चाहिए। इसके लिए यहां से एक 24 घंटे का संस्कृत चैनल शुरू करने का भी प्रस्ताव सरकार को दिया गया जिसका कंटेंट तैयार करने की जिम्मेदारी उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को देने की

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