Mere Dadaji anuched lekhan
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दादा जी घर में सबसे बड़े है और आदर्श के पात्र हैं। घर में सब उन्हीं की सुनते है और उनसे सलाह लेते हैं। वह हर रोज सुबह सबसे जल्दी उठ जाते हैं और पार्क में टहलने जाते हैं। वहाँ से आने के बाद वह स्नान करते हैं और आरती करते हैं। उन्हें चाय पीते समय अखबार पढ़ने की आदत है। वह बहुत ही सज्जन व्यक्ति है और उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष है। आस पड़ोस के लोग भी उनका बहुत सम्मान करते हैं। दादा जी पहले सरकारी स्कूल में अध्यापक थे। दादा जी से मिलने उनके शिष्य आज भी घर आते हैं। दादा जी हमसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं।
वह हमारे साथ खेलते भी है और हमें हमारे कार्य में भी सहायता करते हैं। दादा जी मुझे अपने जीवन से जुड़े किस्से भी सुनाते हैं। वह मुझे घुमाने ले जाते हैं। मेरे लिए टॉफी, चॉकलेट और तोफे लेकर आते हैं। दादा जी को अपने पुस्तैनिक गाँव से बहुत प्यार है। अक्सर यह वहाँ जाते रहते हैं और अपने रिश्तेदारों से मिलकर आते हैं। दादा जी को प्रकृति से बहुत प्यार है। वह नए नए पौधे लगाते है और उनकी देखबाल करते हैं। दादा जी बहुत ही प्यारे और हँसमुख व्यक्ति है