Mere desh ke lal full explanation with meaning and each word to word meaning in hindi
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बालकवि बैरागी’ द्वारा रचित ‘मेरे देश के लाल कविता’ का भावार्थ इस प्रकार है...
भावार्थ — कवि कहता है, जिस देश में पराधीनता को अभिशाप समझा जाता है, जहां पर देश की माटी के एक छोटे से कण के सम्मान की खातिर अनेकों बलिदान हुए हैं, जहां पर मरना पसंद है, पर झुकना नहीं। हम ऐसे देश के वासी हैं। इस वरदान से ओतप्रोत देश के सभी शूरवीर रूपी वासियों सुन लो यह देश अभिमान की धरती है। यहां पर सिर झुकाने वाले नहीं बल्कि अपने सम्मान की खातिर सिर कटाने वाले वीर पैदा होते हैं।
यह देश समृद्ध देश रहा है, जहां पर दूध की नदियां बहती है, जहाँ की भूमि अनेक तरह के रत्न उगलती थी। ऊंचे हिमालय के पर्वत शिखरों के समान जहां पर ऊंचे-ऊंचे ध्वज लहराया करते थे। यह देश ऐसे वीरों का देश है। इस देश में सभी लोगों को बोलने की आजादी है। हर तरह का अधिकार है। इस देश ने विश्व को शांति का संदेश दिया है और अहिंसा का पाठ पढ़ाया है।
ऐसी भारत माता के बेटे अपनी मां के सम्मान पर आंच नहीं आने देते। हम उस देश के वासी हैं जहां केवल भारत माता की सम्मान की खातिर अपने जीवन को बलिदान कर देना सिखाया जाता है। जहां प्राण जाए पर वचन न जाए वाली सीख सिखाई जाती है। जहां हमें यह सिखाया जाता है जियो तो शान से। जहां का बच्चा-बच्चा अपने देश पर मर मिटने के लिए तैयार रहता है। जहां का सिपाही पीठ नहीं सीने पर वार सहने की सामर्थ्य रखता है। हम उस देश के वासी हैं। जहां के लोग सिर झुकाना नहीं जानते बल्कि अपने सम्मान की खातिर सिर कटाना पसंद करते हैं|
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कवि कहता है, जिस देश में पराधीनता को अभिशाप समझा जाता है, जहां पर देश की माटी के एक छोटे से कण के सम्मान की खातिर अनेकों बलिदान हुए हैं, जहां पर मरना पसंद है, पर झुकना नहीं। हम ऐसे देश के वासी हैं। ... इस देश ने विश्व को शांति का संदेश दिया है और अहिंसा का पाठ पढ़ाया है।