Mere ghar sae vidyalaya Tak ka safar
Answers
Answer:
बच्चों को स्कूल से लाने और ले जाने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा मिनी बस, वैन, टाटा मैजिक, टेंपो से अनुबंध किया जाता है। इन वाहनों में बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाया जाता है। वाहन में अधिक बच्चे होने के कारण उनकी जान हमेशा जोखिम में रहती है।
विज्ञापन
गुरुवार सुबह तेलंगाना में हुए हादसे की पुनरावृत्ति जिले में भी हो सकती है। स्कूली वाहन में सवार बच्चों की मौत के बाद भी गुरुवार को नगर के कई स्कूलों के ऐसे वाहन सड़कों पर नजर आए जिनमें बैठे बच्चों के साथ कोई भी हादसा हो सकता था। इस ओर न जिला प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान है और न स्कूल प्रशासन को कोई मतलब है। जिले के अधिकांश स्कूलों के में संचालित वाहनों में बच्चों को लापरवाही से बैठाया जाता है। वाहन चालक और मालिक क्षमता से अधिक बच्चे बैठाकर उनकी जान जोखिम में डाल देते हैं। वैन और टाटा मैजिक में तो चालक की सीट पर ही चार-पांच बच्चे बैठाए जाते हैं।
जिन स्कूलों में टेंपो से अनुबंध किया गया है उनमें भी बच्चों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। टेंपो में पीछे की ओर बैठने वाले बच्चों की जान हमेशा जोखिम में रहती है। उनके लिए कोई सपोर्ट नहीं होता है। वहीं वैन संचालकों ने भी एलपीजी की किट लगवा रखी है। इसके चलते भी कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। वाहनों में भी मानकों का ख्याल नहीं रखा जाता है। अधिकांश वाहनों में फर्स्ट एड किट है और न अग्निशमन उपकरण है।
pleaseark the brainlist
मेरे घर से विद्यालय तक का सफर
मेरा विद्यालय मेरे घर से दस किलोमीटर दूर अवस्थित है। हमारे स्कूल द्वारा बसें उपलब्ध कराईं गई है जिससे सभी छात्र स्कूल जाते हैं।
सुबह मेरे घर के समीप रोड तक मैं पिता जी के साथ जाता हूं। जहां कुछ देर इंतजार करने के बाद विद्यालय की बस आ जाती है।
विद्यालय की बस में सवार होकर मैं स्कूल जाता हूं। मेरे बस में आने से पहले कई दोस्त बस में मौजूद रहते हैं। बस में जाने के बाद उनके साथ काफी बातें होती है।
जब सभी दोस्त जब आ जाते हैं तब हमलोग बस में ही कभी कभी कोई अंत्राक्षी जैसा खेल खेलते हैं जिसके बाद हमलोग का विद्यालय आ जाता है। फिर हमलोग बस से उतर कर विद्यालय पहुंच जाते हैं।