Mere Jeevan Ka Lakshya anuched
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मनुष्य अनेक कल्पनाएं करता है। वह अपने को ऊपर उठाने के लिए अनेक योजनाएं बनाता है। कल्पना सबके पास होती है लेकिन उस कल्पना को साकार करने की शान्ति किसी-किसी के पास होती है। मनुष्य जीवन एक यात्रा के समान है। यात्री को पता होता है कि मैंने यहाँ जाना है तो वह वहीं की टिकट लेकर अपनी यात्रा आरम्भ कर देता है और अपने लक्ष्य तक पहुँच जाता है। अगर उसे यह पता नहीं कि मैंने कहाँ जाना है तो यात्रा का कोई अर्थ नहीं रह जाता। सभी अपने सामने कोई न कोई लक्ष्य रखकर चलते हैं।
विभिन्न व्यक्तियों के लक्ष्य भी विभिन्न होते हैं तो कोई अध्यापक बनना चाहता है, कोई डाक्टर बनना चाहता है। कोई इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहता है। कभी वह सैनिक बनकर देश की सीमा की रक्षा करना चाहता है। कोई कर्मचारी बनकर दफतर में बैठना पसन्द करताहै। कोई व्यापारी बनना चाहता है तो कोई नेता और अभिनेता बनना चाहता है। मेरे मन की एक कल्पना है मैं डॉ० बनकर ग्रामीण लोगों की सेवा करना चाहता हूँ।
मैंने तो आरम्भ से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। मेरे जीवन का लक्ष्य है डॉ० बनना और अपनी समाज की सेवा करना। डॉ० का लक्ष्य केवल पैसा कमाना नहीं होना चाहिए। देश और समाज की सेवा करना उनका लक्ष्य होना चाहिए। मेरा लक्ष्य तो समाज की सेवा करना है- धन कमाना नहीं।
हमारे प्राचीन ग्रन्थों में ऐसा लिखा है कि समाज में दो व्यक्तियों का बड़ा उपकार है। पहला है शिक्षक जो लोगों की अज्ञानता को दूर करके ज्ञान रूपी दीपक दिखाकर उनका जीवन सफल बनाता है। दूसरा है डॉक्टर जो बीमार लोगों का उपचार करके उनको जीवन दान देता है। दोनों के कर्म बड़े पावन है लेकिन मैंने डॉक्टर बनकर सेवा करना पसन्द किया है। हमारे देश में जो डॉक्टर बनते हैं या तो विदेशों में भागकर ज्यादा धन कमाना चाहते हैं या फिर अस्पताल बनाकर लोगों का धन लूटते हैं। मुझे ऐसा पसन्द नहीं।
मैं चाहता हूँ कि दूर किसी गाँव में जाकर अपना अस्पताल बनाऊं ताकि गाँव के लोगों को रोगों से मुक्त जीवन मिले। उनको छोटी-मोटी बिमारी के कारण शहर की और न भागना पड़े और अपना धन लुटाना पड़ा। मेरी यह चाहत है कि मैं गरीबों से उतनी ही फीस लूं जिससे अस्पताल का काम सुचारू रूप से चल सके। मेरी यह चेष्टा रहेगा। कि गरीबो का मुफ्त इलाज करूं।
हर इंसान का जीवन में कुछ न कुछ लक्ष्य होता है। कोई डाक्टर, तो कोई वकील, कोई टीचर तो कोई कुछ। परंतु मैं तो एक IAS अफ़सर बनना चाहता हूं। जो देश की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक है।
मैं कठिन नहीं मानता किसी चीज़ को क्योंकि कठिन कुछ नहीं होता सब समझने का खेल है हमारी बुद्धि का। IAS बनना यानि अपने कंधे पर देश का भार लेना जो सबको नसीब नहीं होता। वास्तव में आईएएस अफसर देश को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।हांलाकि इस पथ पर चलने में कठिनाई तो होगी परंतु यदि आप कुछ नीतियों को सही तरीके से अपनाते हैं तो जरुर पास कर जाऐंगे।
जैसे- इकोलॉजी, एंवायरमेंट, आर्ट और कल्चर पर करना होगा ध्यान
कई किताबों को पढ़ने से अच्छा है एक ऐसी क्व़ॉलिटी की किताब पढ़ें जिससे आपके बेसिक कॉंन्सेप्ट क्लियर हो जाएं।टॉपिक्स की पढ़ाई के लिए जरूरी है कि आप उससे जुड़े नोट्स बनाएं।मॉक टेस्ट से तैयारी कर आप अपनी स्पीड तो बढ़ा ही सकते हैं बल्कि इसकी मदद से सवालों को जल्दी हल करने की समझ भी बढ़ती है।
नियमित रूप से पढ़ें अखबार।एनसीईआरटी की किताबों को जरूर पढ़ें।अगर आप किसी विषय को रट रहे हैं तो आप कुछ समय बाद भूल जाएंगे इसलिए।घटनाओं के विश्लेषण करने की आदत डालें। इससे आप उसे हमेशा याद रखेंगें. इसके लिए आप इंटरनेट की मदद ले सकते हैं।
बस रखें लक्ष्य ऐसा नीति बनाएं ऐसा हर नागरिक IAS बनेगा आपके जैसा
..Thank's..M8..(mate)..