Hindi, asked by pritamSangwan, 1 year ago

mere jivan ka adarsh hindi essay

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Answered by Aniketastronaut
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मेरे जीवन का आदर्श

मेरे जीवन में मेरा आदर्श है मेरे पिता। वे एक आदर्श
व्यक्ति के साथ-साथ एक आदर्श पिता भी है। उनमें वह सारी योग्यताएं मौजूद है जो एक
अच्छे पिता में होनी चाहिए। मेरे पिता केवल मेरे पिता ही नहीं बल्कि वह मेरे अच्छे
मित्र भी है। वह हर समय मुझे अच्छी और बुरी बातों का आभास कराकर आगाह करते रहते हैं।
वह मुझे हार न मानने और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देते हुए मेरा हौसला बढ़ाते हैं।

वह बहुत बुद्धिमान पुरुष हैं और हमेशा दूसरों की परेशानी
में उनकी मदद करते हैं। वह अपने रिश्तेदारों तथा मित्रों की भी खूब मदद करते हैं। वह
मेरे हर पैरेंट-टीचर मीटिंग में मुझे अपने साथ ले जाते हैं और मेरे शिक्षक से मेरे
प्रदर्शन के बारे चर्चा करते हैं।

पिता से अच्छा मार्गदर्शक कोई हो ही नहीं सकता। वह हमें
जीवन में समय का मूल्य सिखाते हैं और कहते हैं कि अगर कोई अपना समय खराब करता है, समय उसका जीवन नष्ट कर
देता है। उनकी कुछ प्रमुख विशेषताएं उन्हें दुनिया में सबसे खास बनाती है जैसे - धीरज, संयम, अनुशासन,
गंभीरता, प्रेम इत्यादि। और मैं भी उनके पद चिन्हों पर चलकर उनके जैसा बनना चाहता
हूँ।

hope you got ur answer mark as brinliest if possible

pritamSangwan: very nice essay
Aniketastronaut: thank-you so much sister
Answered by hemangjoshi37a
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मेरे जीवन का लक्ष्य

संसार के सभी प्राणियों में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ माना गया है । इसके पीछे भी कारण है । मनुष्य में ईश्वर ने सोचने की शक्ति तथा सही- गलत का निर्णय लेने की क्षमता प्रदान की है । मनुष्य अपने भविष्य के बारे में कल्पना कर सकता है, योजनाएँ बना सकता है । इसलिए मनुष्य अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की कल्पनाएं करता है । वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सदा प्रयत्नशील रहता है ।

महत्वाकांक्षी प्राणी होने के कारण प्रत्येक मानव के हृदय में एक प्रबल -इच्छा होती है कि वह ऐसा कोई काम करे जिससे उसका मान–सम्मान हो प्रतिष्ठा हो । इसलिए प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन का कोई न कोई लक्ष्य अवश्य निर्धारित करता है । मेरा भी जीवन लक्ष्य का है । पशु-पक्षियों में तथा मनुष्य में यदि विशेष अंतर है तो वह यह है कि वह सोच-समझ सकता है । वह पढ़-लिख सकता है । विद्या बिना तो मनुष्य पशु समान है ।  

अशिक्षित व्यक्ति का समाज में कोई मान-सम्मान नहीं करता । वह पड़े-लिखे लोगों की बातें नहीं समझ पाता । उसे खाने -पीने, उठने–बैठने का तरीका आता है । शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य में मानवी गुणों का समावेश होता है । इसलिए मैंने निश्चय किया कि मैं एक अध्यापक बनूँगी । समाज में बच्चों में शिक्षा का प्रचार करूँगी विशेष तौर पर ऐसे बच्चे जो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं । मैंने यह निर्णय बहुत सोच-समझ कर लिया है ।

मैं जानती हूँ कि अध्यापक का वेतन अन्य व्यवसायों की अपेक्षा कम होता है । परिश्रम की अधिक आवश्यकता होती है । जीवन में धन कमाना ही हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए । आज अपने शिक्षकों को देख कर मेरी इच्छा होती है कि मैं भी शिक्षक बनकर समाज सेवा करूंगी तथा विद्यार्थियों को अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दूंगी । आज हर कोई इंजीनियर, डॉक्टर, व्यापारी बनना चाहता है । कोई अनोखा ही होगा जो अध्यापक बनना चाहेगा । लोगों को जब मेरे लक्ष्य का पता चलता है तो वे मेरा मजाक उड़ाते हैं ।  

यदि सभी बड़ा व्यक्ति बनना चाहेंगे तो आने वाले समय में शिक्षकों की कमी हो जाएगी । कौन हमारे देश के बच्चों को शिक्षा देगा? मैं एक शिक्षक बनकर अपने विद्यार्थियों को सांस्कारित, सदाचारी, देशभक्त एवं चरित्रवान बनाऊंगी । उनमें कर्त्तव्यनिष्ठा, देश प्रेम, ईमानदारी तथा अपनी संस्कृति के प्रति प्रेमभावना जगाऊंगी ।  

अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए मैं खूब मन लगाकर परिश्रम करूंगी तथा उचित प्रशिक्षण लेकर गांव में जाकर वहां के बच्चों को शिक्षित करूँगी । यदि मेरी तरह अन्य युवक-युवतियां भी शिक्षक बनने का निर्णय लें तो आज हमारे देश में जिस प्रकार नैतिक मूल्यों की कमी होती जा रही है तथा देश के भावी कर्णधार दिशा-विहीन होकर कर्त्तव्य पथ से विमुख हो रहे हैं, तो वह स्थिति न आने पाएगी ।  

अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है । देश का, राष्ट्र का, समाज का तथा जाति का भविष्य अध्यापक के ही हाथ में होता है । वह देश, समाज तथा जाति को जैसा बनाना चाहे बना सकता है । शिक्षक के विषय में किसी कवि ने ठीक ही कहा है – शिक्षक युग का महा प्राण निकल पड़ा है जीवन पथ पर चढ़ कर नव उन्नति के रथ पर करने चला जगत का कल्याण शिक्षक युग का महाप्राण । आज हमारे देश में भ्रष्टाचार में निरन्तर वृद्धि हो रही है, लोग अपने कर्त्तव्यों को भूलकर पथभ्रष्ट हो रहे हैं, देशभक्ति तो लगभग समाप्त ही हो गई है ।  

समाज तथा देश प्रतिदिन नई-नई समस्याओं से उलझ रहा है । आज हमारे समाज को ऐसे अध्यापकों की आवश्यकता है जो नए समाज का निर्माण कर सके । केवल अध्यापक ही हैं जो  बच्चों को चरित्र निर्माण की शिक्षा दै सकते हैं । वह दिन दूर नहीं जब मैं अपने .आदर्श जीवन से अपने विद्यार्थियों को चरित्रवान मनुष्य, परोपकारी एवं सदाचारी डॉक्टर, इंजीनियर एवं कुशल शासक बनाऊंगी ।  

तभी मेरा जीवन सार्थक होगा । मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगी कि वे मेरे इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मेरी सहायता करें । मेरा उद्देश्य है कि मैं आदर्श अध्यापक बनकर सारे देश के बच्चों को शिक्षित करूँ । कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे इससे हमारे देश का एवं हमारा मान बढ़ेगा ।

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